जांच में खुलासा, सराहां सिविल अस्पताल में सबकुछ गोलमाल

सभी अपने आप में मस्त, किसी को नहीं मरीजों की फिक्र

योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष व पूर्व विधान अध्यक्ष के गृह क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं  की पोल उस समय खुलकरसामने सबके सामने आ गई जब स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक ने अस्पताल में छापेमारी की। औचक निरीक्षण में उन्हें अस्पताल में खामियां ही खामियां मिली। अव्यवस्था का आलम यह है कि एक महिला चिकित्सक पिछले की दिनों से ड्यूटी से नदारद पाई गई जो बिना कुछ बताए गायब हैं बावजूद इसके जिला के अधिकारीयों ने इस पर अभी तक कोई संज्ञान तक नहीं लिया। अस्पताल में फैली अव्यवस्था से परेशान स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की थी इस पर संयुक्त निदेशक डा. अशोक गुप्ता ने शनिवार को अस्पताल में दबिश दी। लेकिन छुट्टी के दिन हुई इस विभागीय कार्यवाही से हर कोई बड़ी आसानी से बच निकलेगा। संयुक्त निदेशक डा. अशोक गुप्ता अस्पताल में फैली अव्यवस्था और मरीजों के साथ डाॅक्टरों अभद्रता मामले की जांच के सिलसिले में आए थे।

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ज्ञात रहे कि सिविल अस्पताल के डाॅक्टर व स्टाफ द्वारा मरीजों के साथ अभद्रता की शिकायत पर सीएम ऑफिस ने तवरित कार्यवाही करते हुए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए जिस पर निदेशक ने विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ अशोक गुप्ता को मामले की जांच के निर्देश दिए थे। उन्होंने सराहां सहित पीएचसी बनेठी व स्वस्थ्य उपकेंद्र लादू का भी निरीक्षण किया। सबसे पहले वे सिविल अस्पताल सराहां पहुंचे लेकिन परिसर में डाॅक्टरों की ड्यूटी व अवकाश सम्बन्धी सूचि न पाने से हत्प्रद रह गए। उन्हें यहां ऐसा कोई रिकार्ड नहिं मिला जिससे पता चल सके कि कौन से डाॅक्टर छुट्टी पर हैं और कौन ड्यूटी पर हैं। यही नहीं आपातकाल में मरीज किस डॉक्टर से संपर्क करे इसकी कहीं कोई जानकारी नहीं दर्शाई गई थी। उन्होंने बताया कि अस्पताल के प्रसुती वार्ड व महिला वार्ड में भारी अव्यवस्था पाई गई। डा. अशोक गुप्ता उस समय हैरान परेशान हो गए जब उन्हें अस्पताल में जनवरी 2017 के बाद दवाईयों का कोई ब्यौरा सार्वजनिक रूप से न तो रिकार्ड में मिला न ही कहीं ओर दर्ज मिला। मरीजों के वेटिंग रूम में लगे बैंच खस्ताहाल में पाए गए। इस मौके पर अस्पताल के फार्मासिस्ट व टीबी के एसटीएस भी नदारद पाए गए। संयुक्त निदेशक ने बताया कि परिसर में सीएमओ, बीएमओ समेत किसी भी डाक्टर का फोन नम्बर सार्वजनिक तौर पर न दर्शाना मरीजों के साथ भद्दा मजाक है। उन्होंने जांच में पाया कि पिछले काफी समय से अस्पताल की एक महिला चिकित्सक गैरकानूनी रूप से ऐबसेंट विदाउट लिव चल रही है जिस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकारीयों को इस पर कडा एक्शन लेना चाहिए था लेकिन न जाने क्यों इस गंभीर मामले में वे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में व्याप्त अनियमितताओं की रिपोर्ट सीएम ऑफिस को प्रेषित की जाएगी। उन्होने कहा कि मरीजों व उनके तिमारदारों के साथ किसी भी प्रकार की अभद्रता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस सबको लेकर सीएमओ और बीएमओ की कार्यप्रणाली सन्देह के घेरे में आ गई है। इस तरह की समस्या न आए इसके हालांकि विभाग ने पहले ही उन्हें कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान बनेठी पीएचसी का भी दौरा किया जहां एक फार्मासिस्ट बिना बीएमओ को सूचित किए छुट्टी का प्रार्थना पत्र छोड़कर नदारद पाया गया जबकि उप स्वास्थ्य लादू पर भी उन्हें ताला लटका मिला। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में इस प्रकार की अनियमतताओं से विभाग की विश्वसनीयता पर उठते हैं जिन्हें किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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