एक इनपुट यह भी था कि कोर्ट में आने के समय वह पानीपत या कुरुक्षेत्र कहीं भी उतर सकता है
। केंद्र से लेकर राज्य सरकार के बीच हुई मंत्रणा के बाद यह तय हुआ कि इतने सारे इनपुट के बीच डेरा मुखी को यहां तक लाना जरूरी था। कानूनविदों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यदि डेरामुखी यहां नहीं आता और रामपाल प्रकरण की तरह कोर्ट डेरामुखी को डेरे से निकाल कर पेश करने का आदेश देता तो हालात और गंभीर होते। जिसके बाद शुरू हुआ मोलभाव। कई दौर की बातचीत के बाद डेरामुखी ने अपने पूरे परिवार को डेरे से बाहर लाने की शर्त रखी। शर्त तत्काल मान ली गई। 25 अगस्त को दोपहर बाद डेरामुखी को पेश होना था, जिसकी पुष्टि 24 अगस्त को रात 12 बजे के बाद हुई।
डेरामुखी की शर्तों पर पूरा परिवार डेरे से बाहर तो आया, लेकिन कोर्ट नहीं पहुंच पाया। परिवार के बाकी सदस्य गाड़ियों में पीछे रह गए और डेरामुखी के साथ बैठी हनीप्रीत सरकार के ट्रैप में खुद-ब-खुद चली आई। यहां तक तो सब कुछ ठीक रहा। कहानी वहां गड़बड़ाई, जब हनीप्रीत चॉपर में डेरामुखी के साथ बैठ गई। सरकार के संजीदा अफसर वहां अपना दिमाग नहीं दौड़ा सके।
500 पॉलीफिल भरे बोरे वाले ड्रेस मिले
पुलिस ने डेरा प्रेमियों से एके 47 के अलावा 500 पॉलीफिल भरे बोरे के ड्रेस बरामद किए हैं। यह ड्रेस आत्मघाती दस्तों के लिए तैयार किए गए थे, जो एक इशारे पर अपनी जान दे सकते थे। पॉलीफिल माचिस लगाते ही आग पकड़ लेता है।