तीन पुश्तों से वन भूमि का उपयोग करने वाले एसटी और अन्य लोग प्रस्तुत करे अपने दावे
नाहन – उपायुक्त सिरमौर श्री बीसी बडालिया ने आज यहां वन अधिकार अधिनियम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जानकारी दी कि सिरमौर जिला के कुल 1001 राजस्व गांव में से 963 गांव में वन अधिकार समितियों का गठन किया गया है । उन्होने कहा कि शेष गांव में शीघ्र ही वन अधिकार समितियों का गठन करने के लिए संबधित क्षेत्र के एसडीएम को निर्देश दिए गए है कि ग्राम सभा की बैठक का आयोजन करके समितियों का गठन किया जाए ।
उपायुक्त ने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार वन भूमि पर तीन पुश्तों से रहने वाले अनुसूचित जनजाति एवं अन्य व्यक्तियों को उनके हक हकूक प्रदान करने के लिए वन अधिकार समितियों का गठन किया गया है जिसमें संबधित वर्ग अपने व्यक्तिगत एवं सामुदायिक हक हकूक के दावे वन अधिकार समिति को उपलब्ध करवाने होगें ।
उन्होने कहा कि तीन पुश्तों से वन भूमि का उपयोग संबधी दावे सरकार द्वारा निर्धारित 11 साक्ष्यों में से दो साक्ष्य समिति को प्रस्तुत करने होगें । वन अधिकार समिति द्वारा साक्ष्य सहित रिर्पोट उप मण्डल स्तरीय समिति को और उसके उपरांत अंतिम निर्णय हेतू जिला स्तरीय समिति को रिर्पोट सौंपी जाएगी । उन्होने जिला में कार्यरत सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि जिन क्षेत्रों में घुमन्तु गुज्जर और किन्नौर रोहड़ू चढ़गांव से भेड़पालक पुश्त -दर-पुश्त आ रहे है ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाए और पात्र परिवारों के मामले समिति के माध्यम से जिला स्तरीय समिति को आवश्यक कार्यवाही हेतू भेजे जाऐं ।
उपायुक्त ने कहा कि सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि पात्र अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परिवारों को अपने हक हकूक मिल सके । उन्होने कहा कि जिला की सभी पंचायतों में 16 जुलाई व 23 जुलाई को होने वाली ग्राम सभा की बैठक में लोगों को इस अधिकार के बारे जानकारी दी जाए और वन अधिकार समितियां अपने क्षेत्राधिकार में संबधित व्यक्तियों को अपने दावे प्रस्तुत करने के लिए तीन माह तिथि निर्धारित की जाए ।
उन्होने कहा कि वन भूमि पर हक हकूक के लिए 11 साक्ष्य में से दो साक्ष्य होना अनिवार्य है जिसमें वन भूमि के इस्तेमाल बारे गजेटियर, जनगणना, सर्वेक्षण और बन्दोबस्त इत्यादि में अभिलेख हो। इसके अतिरिक्त मतदाता पहचान पत्र, राशनकार्ड, मूल निवासी प्रमाण पत्र, गृह, झोपड़ी और भूमि में किए गए स्थायी सुधारों का अभिलेख किसी सरकारी दस्तावेजों में हो, अर्द्धन्यायिक और न्यायिक अभिलेख, उन रूढ़ियों और परंपराओं का अनुसंधान अध्ययन, दस्तावेजीकरण जो किन्ही वनाधिकारों को स्पष्ट करते हो, तत्कालीन रजवाड़ों या प्रातों या ऐसे अन्य मध्यवर्तियों से प्राप्त कोई अभिलेख, कुऐं , कब्रिस्तान, पवित्र स्थल जैसी पुरातता को स्थापित करने वाली परंपरागत संरचनाऐं, पुराने समय में गाांव के वैध निवासी के रूप में मान्यताप्राप्त व्यष्टियों के पुरखों का पता लगाने वाली वंशावली और लेखबद्ध किए गए दावेदार से भिन्न बुजुर्गों के कथन इत्यादि में से संबधित व्यक्ति कोई दो दस्तावेज साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।
इससे पहले अतिरिक्त उपायुक्त श्री हरबंस ब्रस्कोन ने बैठक में आए सभी अधिकारियों का स्वागत किया और वन अधिकार अधिनियम बारे विभिन्न मदों को बैठक में क्रमवार प्रस्तुत किया ।
बैठक में जिला में सभी एसडीएम, खण्ड विकास अधिकारी, वन मण्डलाधिकारी और संबधित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया ।