उपायुक्त सिरमौर, श्री ललित जैन ने जिला न्यायवादी को निर्देश दिए कि गत तीन वर्षों से न्यायालयों में अनुसूचित जाति एंव जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत लंबित पड़े मामलों की शीघ्र सुनवाई करवा कर निपटाए जाए ताकि पीड़ित व्यक्ति को समय पर न्यायमिल सके ।
इसके अतिरिक्त उन्होने पुलिस विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति एंव जनजाति वर्ग के अत्याचार से जुड़े लंबित मामलों की जांच समयबद्ध की जाए ताकि पीड़ित व्यक्ति को समय पर राहत राशि उपलब्ध हो सके। उपायुक्त आज यहां अनुसूचित जाति एंव जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एंव प्रबोधन समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होने जानकारी दी कि वर्ष 2015 से लेकर फरवरी 2018 तक इस अधिनियम के तहत 45 मामले दर्ज हुए , जिनमें से 24 मामलेे न्यायालय में लम्बित पड़े है जबकि 10 मामले सबूत के अभाव में खारिज हुए और एक मामले में आरोपी न्यायालयों से बरी हुए। इसके अतिरिक्त 4 मामलों में सबूत के अभाव में पुलिस द्वारा एससी एवं एसटी धारा हटाई गई और 5 मामले पुलिस के पास जांच के लिए लंबित पड़े है।उन्होने बताया कि गत तीन वर्षों के दौरान 26 पीड़ित व्यक्तियों को साढे़ 16 लाख की राशि राहत के रूप में उपलब्ध करवाई गई।
उपायुक्त ने कहा कि समाज में फैली छुआछूत, बाल विवाह, जात-पात इत्यादि बुराईयों के उन्मूलन के लिए जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा । उन्होने समिति के सदस्यों से आग्रह किया कि यदि किसी अनुसूचित जाति अथवा निर्धन व्यक्ति के साथ कोई अत्याचार का मामला ध्यान में आता है तो इसकी सूचना प्रशासन, पुलिस अथवा कल्याण विभाग को दी जाए ताकि पीड़ित व्यक्ति की समय पर सहायता की जा सके ।
जिला कल्याण अधिकारी विवेक अरोड़ा ने समिति के सभी सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों का स्वागत करते हुए अनुसूचित जाति एंव जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से संबधित दर्ज मामलो की वर्तमान स्थिति के बारे उपायुक्त को अवगत करवाया।
बैठक में पुलिस अधीक्षक रोहित मालपानी, सहायक जिला न्यायवादी, गैर सरकारी सदस्यों में दीनदयाल वर्मा, राकेश गर्ग, उप प्रधान शाया सनौरा रणवीर ठाकुर सहित समिति के अन्य गैर सरकारी सदस्यो ने भाग लिया।