(विजय ठाकुर ) नूरपुर-चुबाड़ी सड़क मार्ग पर मलकवाल के पास हुए स्कूल बस हादसा सबसे ज्यादा जख्म ठेड़ व पुहाड़ा गांव को दे गया है।इन दोनों गावों के कई घरों में आज मातम पसरा है।जिन्ह नन्हे बच्चो को सुबह बड़े चाव से तैयार कर स्कूल भेजा था अब उनके शवों का इंतज़ार हो रहा है।गांव में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां चूल्हा जला होगा।
हर तरफ चिंखों पुकार के साथ बस उस घड़ी को कोसा जा रहा है जब बच्चो को सुबह सवेरे स्कूल भेजा था।पुहाड़ा गांव के करीब 10 तो ठेड़ गांव के आधा दर्जन के करीब घरों के चिराग बुझ गए है।इनमे कई पड़ोसी तो कई करीबी रिश्तेदार है।मरने वालों में चार साल के परमेश व काना भी शामिल है।इनमे से कई बच्चों को इस बार ही दाखिला करवाया गया है।हादसे के दौरान कई माताएं सड़क के किनारे अपने बच्चों का इंतज़ार कर रही थी तथा बच्चे भी छुट्टी होते ही खुशी-खुशी घर जाने के लिए बस में सवार हुए थे |
तथा इसी खुशी में घर का आधा फासला भी पूरा कर लिया था,लेकिन होनी ने ऐसा पलटा मारा की यह फासला हमेशा के लिए अधूरा ही रह गया।बस पलटने की खबर मिलते ही हर कोई घटना स्थल की तरफ दौड़ गया।कुछ ही देर में पूरा क्षेत्र चिंखों पुकार से गूंज उठा।चंद मिनट पहले जिन बच्चों का खुशी खुशी इंतजार किया जा रहा था वे खिलौने की भांति यहाँ वहां पड़े थे।किसी का अंग गायब था तो कोई खून से लथपथ था। अविभावक अपने लाडलो की तलाश में कभी यहाँ भाग रहे थे तो कभी वहां।किसी का बच्चा जीवित मिला तो किसी का मृत।हादसा हुआ तो खबर आई कि चार बच्चों की मौत हुई है लेकिन देर शाम तक यह हादसा 23 बच्चों सहित 27 लोगो को लील चुका था।
हादसे का शिकार हुई अध्यापिका की 17 तारीख को शादी थी।घर और शादी की तैयारियां चली थी।बताया जा रहा है कि सोमवार को परिजन नूरपुर व जसुर में शादी की खरीदारी करने गए थे लेकिन वे स्कूल आ गई थी,लेकिन घर ज़िंदा नही पहुंच पाई।दुल्हन का लिवास तो नसीब नही हुआ पर कफ़न जरूर मिल गया।कल एक साथ कई चिताएं जलेंगी तो मंजर दिल को हिलाने बाला होगा।हादसे की बजह बस की तेज गति वताया जा रहा है।