निम्न स्तर की सड़क सुविधा प्रदेश में होने वाले एक्सीडेंट का कारण पर एक खास सर्वे खुलासा पढ़े पूरी रिपोर्ट

 

( जसवीर सिंह हंस  )सड़क दुर्घटनाएं मानवीय त्रास्दी होती हैं। इनके कारण मनुष्य को सामजिक व आर्थिक तौर पर अकाल मृत्यु, चोट, उत्पादकता में हानि जैसे भारी नुकसान उठाने पड़ते हैं। सड़क दुर्घटनाएं प्रमुख होती हैं लेकिन जन स्वास्थ्य के तौर उपेक्षित रहती हैं। संयुक्त राष्ट्र ने अपने सतत विकास उद्देष्यों  के उत्थान को बनाए रखने के लिए 2020 तक जो मनोचित्र बनाया है उसके अन्तर्गत विष्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु और चोटों की दर को आधा करना है।

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जनवरी, 2018 से मार्च, 2018 तक 108 ऐंबुलेंस को आधार बना कर प्रदेश  में होने वाले सड़क हादसों का सर्वे किया गया है। इस सर्वे की रिर्पोट में खुलासा हुआ है कि प्रदेष में 719 ऐसे स्थान है जहां पर सबसे अधिक दुर्घटनाओं की प्रवृति रही है और 257 ऐसे स्थान जहां बार-बार सड़क हादसे होते हैं। प्रदेश  भर में 31 ऐसे स्थान हैं जहां पर बहुत ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। यहां पर अनेक प्रकार के पीड़ित दिखाई देते है जो गंभीर रूप से घायल होते हैं और कुछ एक की तो इनमें से मृत्यु भी हो जाती है।

इस रिर्पोट में दर्षाया गया है कि सड़क हादसों का मुख्य कारण क्या है, उन्हें कैसे रोका जा सकता है, सड़क हादसों का समय, सप्ताह के कौन से दिन सबसे अधिक हादसे होते हैं। इन सड़क हादसों में आयु वर्ग के हिसाब से षिकार होने वालों की संख्या के साथ ये भी बताया गया है |

इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर यह पता चलता है कि प्रदेष में निम्न स्तर की सड़क सुविधा, गति की अनदेखी, ड्राइविंग के साथ षराब पीने की आदत, मोटरसाईकल को बिना हेलमेट के चलाना और बच्चे के लिए अलग से सीट लगाना कुछ ऐसे तथ्य है जो सड़क दुर्घटनाओं में चोटों और मृत्यु के लिए प्रमुख योगदान है। क्योंकि प्रदेष की भौगोलिक स्थिति एक बड़ी चुनौति है और यहां पर कुछ ऐसे भू-भाग हैं जिन्हें देष भर में सबसे मुष्किल माना जाता है तथा यातायात का एक मात्र साधन सड़क परिवहन है। ऐसे में सड़क दुर्घटना के समय उपयुक्त व त्वरित कार्यवाई होनी चाहिए।

इस अध्ययन में यह भी बताया गया है किस प्रकार प्रदेश  में होने वाली दुर्घटनाओं को उपयुक्त निर्देषों, रैलिंग और पैराफीट लगाकर, मोड़ों को सुधारकर, उपयुक्त जगहों पर स्पीड ब्रेकर लगाकर तथा दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में पैट्रªोलिंग द्वारा कम किया जा सकता है।

108 आपातकालीन सेवा प्रबंधन द्वारा निपटाई गई कुल आपातकालीन घटनाओं में 5ण्68: सड़क दुर्घटनाएं है। पिछले सात वर्षों तीन महिनो से अपनी सेवाएं प्रदान करते हुए 108 ने 58029 सड़क दुर्घटनाओं को संभाला है। यदि हम षहरी क्षेत्रों की बात करें तो 108 ऐंबुलेंस सेवा द्वारा सड़क हादसों से संबंधित मामले मेें मात्र 9 मिनट व 53 सेकिंड में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 18 मिनट व 53 सेकिंड में आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध करवाईं है। ळच्ै और गूगल मैप जैसी आधुनिक तकनीको के आने से त्वरित कार्रवाई का समय वर्ष दर वर्ष कम हो रहा है। क्योंकि इनके माध्यम से आपातकालीन वाहन को दुर्घटनास्थल तक और जल्दी  से पहुंचाने की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध हो जाती है। यद्यपि 2016 की अपेक्षा 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में थोड़ी कमी दर्ज की गई है तथापि एमरजैंसी रिस्पांस सेंटर में जब से यह स्थापित हुआ है तब से दुर्घटनाओं की दर में लगातार वृद्धि हो रही है।

सड़क दुर्घटना के आंकड़े – साल दर साल रूझान

जिला वार सड़क दुर्घटनाएं

हिमाचल प्रदेष में जिला वार सड़क दुर्घटनाएं के पीड़ित

जिला कुल पीड़ित

कांगड़ा       10604

ऊना  7902

सोलन        7375

शिमला     7066

मंडी   6077

सिरमौर      5743

बिलासपुर   4023

हमीरपुर     4023

कुल्लू  2185

चंबा  2022

किन्नौर       340

लाहुल-सिपति      263

हिमाचल प्रदेष      58029

सड़क दुर्घटनाएं- महीना/दिन एवं घंटे के हिसाब से दुर्घटना की दर

पिछले सात वर्ष तथा तीन महिनो के रूझान दिखाते हैं कि प्रदेष में सड़क दुर्घटनाएं सप्ताह के आखिर में/अवकाष में और छुट्टियों में अपने चरम पर होती हैं। ये न केवल प्रदेष के लोगों द्वारा की गई यात्राओं से बल्कि इस दौरान पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी से भी होती हैं। दिन और घंटों के हिसाब से किए गए विष्लेषण के आधार पर पाया गया कि सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा सप्ताह के अंत में और षाम के समय 2 से 9 बजे के बीच में होती हैं। महीने के हिसाब से ये दुर्घटनाएं छुट्टियों के महीने मई से अगस्त जो गर्मियों की छुट्टियों के महीने होते हैं तथा अक्तूबर व नवम्बर जब दिवाली की छट्टियां होती हैं में अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।

हिमाचल प्रदेष में उम्र व लिंग के हिसाब से सड़क दुर्घटनाओं के रूझान

विष्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में बीमारियों का जो भार है उसमें 12: दुर्घटनाओं से लगने वाली चोटें है और यह 15 से 29 वर्ष के बीच होने वाली कुल मृत्यु का तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है। इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रदेष में दुर्घटना से पीड़ित 40: युवावस्था के होते हैं। महिलाओं की अपेक्षा पुरूष सड़क दुर्घटनाओं में ज्यादा प्रभावित होते हैं जिनकी भागीदारी 81: है।

वाहनों की संख्या में होती बेतहाषा वृद्धि पर हिमाचल में जीवीके ईएमआरआई के प्रभारी श्री मेहुल सुकुमरन ने कहा कि यह अत्यंत आवष्यक है कि दुर्घटना से होने वाली अनहोनी को रोकने और सड़क दुर्घटना के दौरान मृत्यु और चोटों को रोकना, दोनों ही स्थितियों में उच्चतम स्तर का उपचार उपलब्ध करवाया जाए।

 

 

 

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