(जसवीर सिंह हंस ) गत कुछ महीनो से आवारागर्द बूलेट सवारों ने शहर के लोगो का जीना हराम किया हुआ है कभी पटाके बजाये जाते है कभी महिलायों व लडकियों के पास जाकर रेस तेज करदी जाती है | गर्ल स्कूल व अन्य स्कूल के बाहर ये आवारागर्द छुट्टी के टाइम पहुच जाते है | शाम के समय तो बाजारों में भी तेज गति व तेज आवाज में बुलेट व बाइक भागती नजर आती है परन्तु पुलिस केवल चोराहो पर खड़ी आम आदमी को पकड़कर कागजी खानापूर्ति करने में व्यस्त है जबकि आवारागर्द बूलेट व अन्य बाइक सवार गलियों व चोर रास्तो से निकल जाते है |
सिरमोर के पुलिस अधीक्षक रोहित मालपानी ने कहा था कि आईओ विशेष तौर पर दुर्घटना के कारणों और बढ़ रही दुर्घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इसका ये असर हुआ कि ट्रैफिक स्टाफ केवल चालान काटने में वयस्त हो गया | वही आम आदमी के चालान काट लाखो रुपए सरकार के खाते में जमा किये जा रहे है | परन्तु दुर्घटनाओ में कोई कमी नहीं आई है आकड़ो के अनुसार पिछले एक साल में पांवटा साहिब सिविल हॉस्पिटल में दुर्घटनाओ के हजारो मामले आये है | अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्रैफिक पुलिस का काम चालान कर पैसे इकठे करना है या यातायात वयवस्था में सुधार कर दुर्घटनाओ के मामलो में कमी लाना है |