टोपी व पहाड़ी पहरावा पहने बिना कैसे कोई हो सकता है किंग ऑफ नाटी….सुरेंद्र ठाकुर

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( धनेश गौतम ) टोपी के बिना व पहाड़ी पहरावे के बिना कोई किंग ऑफ नाटी कैसे बन सकता है। किंग ऑफ नाटी का खिताब उसी लोक कलाकार को मिलना चाहिए जो अपने पहरावे, संस्कृति व सभ्यता को जिंदा रखता है। हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में इस तरह के तीन चार ही लोक कलाकार हैं जो अपने परंपारिक पहरावे में मंच पर भी गीत गाते हैं और एल्बमें भी परंपरा के अनुसार ही बनाते हैं।
यह बात एफएमबी कंपनी के निदेशक सुरेंद्र ठाकुर ने यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। वे यहां पहाड़ी कलाकार इंद्रजीत के गीत सोल्मा के विमोचन पर मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे थे। स्थानीय कलाकारों ने उनका कुल्लवी परंपरा के साथ भव्य स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि आज हिमाचल में युवा अपने खान-पान और पुरानी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं जो आने वाले समय में समाज के लिए घातक होगा। ऐसे में प्रदेश सरकार को ही संस्कृति के संरक्षण के लिए अहम कदम उठाने होंगे। कुल्लू में लोक गायक इंद्रजीत की वीडियो एलबम सोलमा का विमोचन करते हुए सिरमौर के युवा समाज सेवक  सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि आज प्रदेश के मेलों से भी रौनक खत्म होती जा रही है।
मेलों में ऐसे कलाकारों को मंच दिया जा रहा है जिन्हें न हिमाचली संस्कृति का ज्ञान है और न ही वह हिमाचली पहनावा पहनते हैं। अगर मेले में कोई कलाकार हमारी संस्कृति को प्रस्तुत करना चाहता है तो उसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाए। कमेटी हिमाचल के सभी कलाकारों के ऑडिशन लें और उस पर तय करें कि कौन सा कलाकार हिमाचली संस्कृति के संरक्षण में अपना योगदान दे रहा है।
वहीं सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि कुछ युवा हिमाचल संस्कृति के संरक्षण में कार्य कर रहे हैं लेकिन उन्हें कहीं भी उचित मंच नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार को ही ऐसे युवाओं को आगे लाने का प्रयास करना होगा और स्कूलों व कॉलेजों में भी संस्कृति के संरक्षण के बारे में युवाओं को जागरुक करना होगा। ताकि युवा बाहरी राज्यों में जाकर भी अपना पहनावा खानपान और अपनी बोली को भूल न सके।
सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के जिलों में भी ऐसी ही कमेटी का गठन किया जाना चाहिए और जो कलाकार पहनावा लोक संस्कृति को ध्यान में रखते हुए अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करना चाहता है तो उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा मंच भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि आने वाले समय में युवा अपनी संस्कृति को समझ सके। इस अवसर पर कलाकार इंद्रजीत ने बताया कि सोलमा गीत एक लव स्टोरी गीत है। इसका फिल्मांकन पारंपरिक तरीके से किया गया है।
उन्होंने कहा कि वे भरपूर प्रयास कर रहे हैं कि पुराने गीतों को संजोकर पारंपरिकता को जिंदा रखा जा सके। उन्होंने कहा कि सोलमा एल्बम हर दर्शकों को पसंद आएगी ऐसी उनकी उम्मीद है। गौर रहे कि इंद्रजीत एक ऐसे कलाकार के रूप में उभरे हैं जो अपने सभी गीतों को पारंपरिक वेशभूषा में गाते हैं व फिल्मांकन भी पारंपरिक वेशभूषा में ही करते हैं। इस उभरते हुए कलाकार ने अन्य कलाकारों को भी रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है जो हिमाचली संस्कृति में फुहड़ता ला रहे हैं।

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