( जसवीर सिंह हंस ) सदर थाना प्रभारी की अगुवाई में चम्बा-पठानकोट मार्ग पर गश्त के दौरान पुलिस टीम ने शनिवार की शाम को 3 लोगों को दस पैकेट “पेंटाज़ोसीन इंजेक्शन आईपी 30 मिलीग्राम” 12 पैकेट “फोर्टविन इंजेक्शन” सहित रंगे हाथों गिरफ्तार किया है । पुलिस ने इस मामले में उत्तरप्रदेश की एक महिला व 2 पुरुषों के खिलाफ एन.डी.पी.एस. एक्ट की धारा 21 व 29 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है।
एस.पी. चम्बा डा. मोनिका ने बताया कि सदर पुलिस थाना प्रभारी चम्बा प्रशांत ठाकुर की अगुवाई में एक पुलिस टीम शनिवार की शाम को जब उदयपुर के पास गश्त कर रही थी तो 3 लोग पैदल बैग उठाए हुए चले आ रहे थे। इसमें 2 पुरुष व एक महिला शामिल थी। जैसे ही उक्त लोगों की नजर पुलिस टीम पर पड़ी तो वे घबरा गए और उन्होंने संदेहजनक हरकतों को अंजाम दिया। उनकी इन हरकतों को देखते हुए पुलिस टीम ने जब उनके पास जाकर पूछताछ की तो उन्होंने खुद को यू.पी. निवासी बताया। उनके पास मौजूद बैग की पुलिस ने शक के आधार पर तलाशी ली तो बैग से नशीले इंजैक्शनों की भारी खेप बरामद हुई।
गिरफ्तार किए गए पुरुषों की पहचान विश्व प्रताप सिंह तोमर व जोगेश कुमार उर्फ शिवा के रूप में की गई जबकि महिला के नाम को पुलिस ने गुप्त रखा है। एस.पी. चम्बा ने बताया कि पुलिस धरे गए इन लोगों को रविवार अदालत के समक्ष पेश करेगी।पुख्ता जानकारी के पैंटाजोसिन व फोर्टबीन इंजैक्शन का चिकित्सक उस समय रोगी के लिए प्रयोग में लाता है जब सर्जरी के बाद रोगी को असहनीय दर्द उठता है। उस दर्द से निजात दिलाने के लिए इन इंजैक्शनों का प्रयोग किया जाता है। इन इंजैक्शनों का रोगियों पर 8 घंटों तक असर रहता है।
बताया जाता है कि इन इंजैक्शनों के लगाने पर व्यक्ति अपनी सोचने-समझने की शक्ति को पूरी तरह से खो देता है। उक्त व्यक्ति लगभग बेहोशी की स्थिति में पहुंच जाता है। चिकित्सक के परामर्श के बगैर कोई भी दवाई विक्रेता किसी भी व्यक्ति को इन इंजैक्शनों को नहीं बेच सकता है। इसके लिए चिकित्सक का लिखा हुआ होना जरूरी है। इन इंजैक्शनों के प्रभाव को देखते हुए ही इन्हें मादक द्रव्य अधिनियम के दायरे में रखा गया है।