राज्य की सभी पीएचसी व एचएससी को 2022 तक वैलनेस केन्द बनाने का लक्ष्य

हिमाचल प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और स्वास्थ्य उपकेन्द्रों को वर्ष 2022 तक चरणबद्ध तरीके से स्वास्थ्य वैलनेस केन्द्रों में स्त्तरोन्नत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। चालू वित्त वर्ष के अंत तक 132 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और स्वास्थ्य उपकेन्द्रों को वैलनेस केन्द्र बनाया जाएगा। यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुर्वेद मंत्री विपिन सिंह परमार ने आज यहां आयुष्मान भारत के तहत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए ‘हैल्थ व वैलनेस सेंटर’ को क्रियान्वित करने के लिए आयोजित राज्य स्तरीय अभिविन्यास कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है जिसमें व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना दो मुख्य स्तम्भ हैं। दोनों स्तम्भ एक साथ मिलकर ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज’ के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वरदान सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में वैलनेस केन्द्रों की स्थापना के दूरगामी परिणाम होंगे और स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है और गैर-संक्रमणीय बीमारियों सहित अनेक बीमरियों की प्राथमिक और माध्यमिक रोकथाम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बहुत कम लागत पर विकृति और मृत्युदर को कम करती है साथ ही द्वितीयक और तृतीयक देखभाल की आवश्यकता को भी कम करती है।

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विपिन सिंह परमार ने कहा कि देश के सभी लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले, स्वास्थ्य सुरक्षा मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लाकर देश के 50करोड़ लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य कवच का बड़ा तोहफा प्रदान किया है, जो विकसित होते भारत की जरूरत भी था। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से हिमाचल प्रदेश के 21लाख से अधिक लोग पांच लाख रूपये तक के स्वास्थ्य बीमा कवच के दायरे में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना से वंचित लोगों के लिए राज्य में ‘हिम केयर’ योजना शुरू की गई है और इसकी सभी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि योजनाएं तभी सार्थक होंगी यदि वे धरातल तक पहुंचे और अंतिम छोर में व्यक्ति को लाभान्वित करें। इसमें चिकित्सकों की भूमिका अह्म है और उन्हें मिशन के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग भगवान के बाद डाक्टर को जीवन रक्षक मानते हैं और यह विश्वसनीयत बनाए रखने के लिए समर्पण की भावना के साथ मानव सेवा करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता, यदि इमानदार और कर्मठ प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्यपालक को इस बात पर गौर करना चाहिए कि समाज का दृष्टिकोण उनके प्रति क्या है और यह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना में पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके अलावा, स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर निष्पादन के लिए चार पुरस्कार प्राप्त हुए हैं जो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में आ रहे बदलाव के साक्षी हैं। उन्होंने इसके लिए चिकित्सकों तथा पैरा मेडिक्स को बधाई देते हुए कहा कि अभी लक्ष्यों को हासिल करना शेष है।

विपिन सिंह परमार ने कहा कि चम्बा जिले के समोट तथा सुंडला में वैलनेस केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी हैं और राज्यभर में इस योजना को शीघ्र पूरी तरह से क्रियान्वित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी माह 14 और 17 तारीख को मेडिकल कॉलेज टांडा तथा आईजीएमसी शिमला में चिकित्सकों के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू आयोजित किए गए हैं तथा सोलन में भी यह साक्षात्कार आयोजित किया जा रहा है। राज्य में डाक्टरों की कमी पूरी हो जाएगी और वैलनेस केन्द्रों के संचालन को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि लगभग 350 चिकित्सकों को इन साक्षात्कार के माध्यम से भरा जा रहा है और आने वाले समय में निश्चित रूप से प्रदेश में न केवल डाक्टरों की कमी पूरी होगी,े बल्कि सरपल्स हो जाएंगे।

भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन केन्द्र की कार्यकारी निदेशक डा. रजनी वैद्य ने वैलनेस केन्द्रों के क्रियान्वयन पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि वैलनेस केन्द्रों की अवधारणा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कम उपयोगिता, जिला अस्पतालों तथा मेडिकल कालेजों पर अत्यधिक बोझ व दबाव की समस्या का समाधान करेगी। उन्होंने कहा कि यह अवधारणा उपचार की लागत को कम करेगी। उन्होंने वैलनेस केन्द्रों में योग को उपयुक्त स्थान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्हेंने कहा कि केन्द्रों के सुचारू व बेहतर संचालन के लिए चिकित्सकों सहित सभी पैरा मेडिकल स्टाफ, आशा वर्कर्ज को प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है।

डा. रजनी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं और राज्य में टैलीमेडिसिन जैसी अत्याधुनिक उपचार प्रणाली आरंभ करना सराहनीय कदम है। उन्होंने वैलनेस केन्द्रों की औपचारिकताओं, आवश्यकताओं व संचालन के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की।

विशेष सचिव स्वास्थ्य निपुण जिंदल ने कहा कि स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पहुंच तथा इन्हें वहन करने की सुविधा सभी लोगों तक सुनिश्चित बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि गुणात्मक स्वास्थ्य उपचार पर विशेष बल दिया गया है। सभी स्वास्थ्य संस्थानों में चरणवद्ध ढंग से बुनियादी सुविधाओं, अधोसरंचना तथा उपकरणों व स्टॉफ की समुचित व्यवस्था प्रदान की जा रही है।भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन केन्द्र की सलाहकार डा. गरिमा गुप्ता ने भी इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं वैलनेस केन्द्रों की स्थापना व इनके संचालन पर विस्तारपूर्वक जानकारी सांझा की।

इससे पूर्व, मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मनमोहन शर्मा ने स्वागत किया और राज्य में वैलनेस केन्द्रों के क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला। राज्य वैलनेस केन्द्र के नोडल अधिकारी डा. पी.सी. धरोच ने धन्यवाद किया।कार्यशाला में प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला नोडल अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी व राज्य स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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