पश्चिम बंगाल की दो युवतियों की तस्करी में तीन महिलाओं समेत आठ लोगों को देहरादून न्यायालय ने 12-12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
दोषियों पर अलग-अलग धाराओं में कुल 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इनमें से एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप भी थे, जिसे दोषी करार देते हुए न्यायालय ने आठ साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। अभियोजन का दावा है कि उत्तराखंड के इतिहास में मानव तस्करी गिरोह को इतनी बड़ी सजा पहली बार हुई है।
शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी ने बताया कि आठ अक्तूबर 2015 को सहसपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। घटनाक्रम के अनुसार घटना की रात करीब साढ़े दस बजे ब्रह्मावाला स्थित एक होटल से एक युवती कुछ लोगों के चंगुल से निकलकर थाने पहुंची थी। पश्चिम बंगाल निवासी उस युवती ने शिकायत की थी कि उसकी एक सहेली होटल में इन लोगों के चंगुल में है।
पुलिस ने दोनों युवतियों को मुक्त कराया
इस सूचना पर तत्कालीन क्षेत्राधिकारी विकासनगर के नेतृत्व में पुलिस ने होटल में छापा मारा और तीन महिलाओं समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दोनों युवतियों को मुक्त कराया।
आरोपियों में होटल मालिक कादिर हुसैन निवासी धर्मावाला, शेरखान निवासी खेड़ी अमरती थाना मिर्जापुर सहारनपुर, महमूद निवासी ढकरानी, सुरेंद्र व उसकी पत्नी ममता निवासी पौंटा साहिब, मनजीत कौर निवासी पौंटा साहिब, हैदर हुसैन व उसकी पत्नी लता निवासी दिल्ली शामिल थे। इनमें से महमूद को एक युवती के साथ पकड़ा गया था। महमूद के खिलाफ दुष्कर्म की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।
अभियोजन की ओर से कुल आठ गवाह पेश किए गएपुलिस ने नियत समय के भीतर आरोपियों के खिलाफ मानव तस्करी और आपराधिक षडयंत्र के आरोप में चार्जशीट दाखिल की। हैदर के खिलाफ एक अतिरिक्त धारा दुष्कर्म की भी थी। मुकदमे के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से कुल आठ गवाह पेश किए गए। जबकि, बचाव पक्ष केवल तीन गवाहों की गवाही ही करा सका।
गुरुवार को विशेष जज पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने मानव तस्करी व आपराधिक षडयंत्र के आरोपियों को 12-12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। जबकि, महमूद को दुष्कर्म के दोष में भी आठ साल की सजा सुनाई गई। आरोपियों पर अलग-अलग धाराओं में कुल 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसे अदा न करने पर सभी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा