नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया जगह जगह शिवालयों में गूंज रही जय भोले की जय जय कार तथा भक्तों की उमड़ी भीड़। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में शिव मंदिरों में सुबह से ही पूजा पाठ शुरू हो गई सुबह से ही लोगों ने भगवान शिव पर बेल पत्री बेझर कि बाल दूध दही मेवा मिष्ठान रोली चंदन को साथ लेकर पूजा अर्चना की तथा भगवान शिव शंकर से अपने परिवार के लिए मनोकामना की |
पांवटा साहिब के बद्रीनगर स्थित शिवमंदिर में भी लोगों ने कांवर लेकर शिवलिंग पर जाकर कांवर चढ़ाई कावर चढ़ाई तथा भगवान के दर्शन कर मनोकामना मांगी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा लोगों ने शिवालय मंदिर पर जाकर विधि विधान से शिव जी की पूजा अर्चना की तथा अपने परिवार की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना की सुबह से ही शिव मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा रहा । पंडित कमल शर्मा ने बताया की महाशिवरात्रि पर पूजा का विशेष फल मिलता है |
पांवटा साहिब से करीब 5 किलोमीटर दूर, महादेव चौक से कुछ दूरी पर ग्राम पातलियो के घने जंगल के किनारे पर स्थित प्राचीन श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर है। जो कि शिवभक्त श्रद्धा आस्था तथा विश्वास का प्रमुख केंद्र माना जाता है। ये मंदिर अपने आप मे एक विशेष धार्मिक इतिहास समाए हुए हैं। पूर्व विधायक चौधरी किरनेश जंग ने बताया की यहां दर्शन करने वाले सब भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता रहे।श्री पातालेश्वर मंदिर सीमित अध्यक्ष दाता राम चौहान, संयोजक विनय गोयल व धर्मवीर राठौर का कहना है कि मंदिर का प्राचीन इतिहास रहा है। जन धारणा यही है कि द्वापर युग में योग शास्त्र के महा ऋषि श्री पतंजलि जी महाराज ने इस स्थान पर भगवान शंकर जी की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ जी ने महर्षि को वरदान मांगने के लिए कहा। तब महर्षि जी शंभू की जय जयकार करते हुए भक्ति भाव सहित शिव साष्टांग नतमस्तक होकर बोले थे। कि हे दीनबंधु दीनानाथ आप तो अंतर्यामी है। मेरा तो आपकी यहां पर घोर तपस्या करने का मात्र एक ही सर्व हितकारी काम जन जन का भला करने वाला ही प्रयोजन था।
भगवान शिव के इतना सुनने पर के पश्चात उन्हें तथास्तु( ऐसे ही हो )कहा और कहने के साथ ही इस स्थान पर एक अति विशाल आलौकिक शिवलिंग पाताल के गर्व से उनके चमत्कार के साथ प्रकट होने लगा। पाताल की गर्भ से प्रकट होने के कारण ही इस धाम का नाम श्री पातालेश्वर महादेव पड़ा। साथ साथ ही यह भी मान्यता भी रही है कि महा ऋषि पतंजलि जी की तपोभूमि होने के कारण इस गांव का नाम पातलियो पड़ा। हर वर्ष यहां पर महाशिवरात्रि का पावन त्यौहार परंपरागत हर्ष, उल्लास व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान महाशिवरात्रि के अगले दिन विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
श्रवण मास में शिव भक्तों की भक्ति व शक्ति, पूजा गंगा जल अर्पित करने की संख्या देखते ही बनती है। हर वर्ष श्रावण माह में शिव भक्त द्वारा शिव को गंगा जल अर्पित करते हैं। विशाल भंडारे का आयोजन भी होता है। प्रतिवर्ष श्रावण माह में जन जन के कल्याण के सुख शांति हेतु श्री महामृत्युंजय वा पाठ के पश्चात विशाल भंडारा होता है। अप्रैल माह में श्री बाबा बालक नाथ जी का भव्य विशाल भंडारा प्रत्येक वर्ष होता है। मंदिर समिति शिव भक्तों के सहयोग से मंदिर विकास का कार्य निरंतर प्रगति पर रहता है।