हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े कर-कर्ज घोटाले में सीआईडी की टीम ने मंगलवार देर रात को पांवटा व शिमला से बिजली बोर्ड के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। 6 हजार करोड़ के इंडियन टेक्नोमेक घोटाले में बिजली बोर्ड का पांच करोड़ रूपये का फर्जी बिल घोटाला भी शामिल है।
इंडियन टेक्नोमेक के पदाधिकारियों ने फर्जी आरटीजीएस दिखाकर बिजली बोर्ड को एक बर्ष के बिल में करीब पांच करोड़ का चूना लगाया है। जब आबकारी एवं कराधान विभाग ने इंडियन टेक्नोमेक कंपनी को सीज किया, तो बिजली बोर्ड ने भी अपने बिजली बिल के घोटाले की जानकारी सरकार व बोर्ड के उच्च अधिकारियों को दी थी।
जिसके बाद अधिकारियों ने मामले में अलग से एफआईआर दर्ज करवाई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सीआईडी की टीम ने तत्कालीन समय में पांवटा साहिब के सहायक अभियंता व अधिशासी अभियंता रहे बिजली बोर्ड के अधिकारियों को शिमला व गिरीनगर से गिरफ्तार किया है। जिन्हें बुधवार को पांवटा साहिब की अदालत में पेश किया गया जहा से दोनों अधिकारियो को 9 मार्च तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है ।
सीआईडी की टीम ने मंगलवार देर रात को शिमला से अधीक्षण अभियंता राकेश कुमार धीमान को गिरफ्तार किया। वही सीआईडी की दूसरी टीम ने गिरीनगर से अधिशासी अभियंता रणधीर सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया। इन दोनों पर आरोप है कि तत्कालीन समय में इन दोनों ने 1 से 2 वर्ष तक बिजली बिल का रिकॉर्ड चेक नहीं किया, कि इंडियन टेक्नोमेक कंपनी द्वारा बिजली का बिल जमा भी करवाया जा रहा है या नहीं।
सीआईडी को आशंका है कि इन दोनों अधिकारियों को फर्जी आरटीजीएस मामले में कुछ कमिशन मिलती होगी। जिसकी जांच व पुछताछ सीआईडी अब करेगी। सीआईडी की टीम ने इंडियन टेक्नोमेक मामले की छानबीन करते हुए अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिसमें से कुछ की जमानत हो गई है, जबकि कुछ न्यायिक हिरासत में चल रहे है।
इससे पहले सीआईडी टीम ने आबकारी एवं कराधान विभाग के कर्मचारी, कंपनी के पदाधिकारी व दिल्ली के सीए को गिरफ्तार कर चुकी है। बिजली बोर्ड के अधिकारियों की यह पहली गिरफ्तारियां है। वीरेंद्र कालिया अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीआईडी क्राइम ने बताया कि इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के बिजली बिल घोटाले के मामले में तत्कालीन एक्सईएन को शिमला व एसडीओ को पांवटा साहिब के गिरीनगर से गिरफ्तार किया गया है। जिन्हें की बुधवार पांवटा साहिब की अदालत में पेश किया गया।