सफ़ेद दिखने वाला पाउडर, जिसके एक ग्राम की क़ीमत क़रीब 6000 रुपये है. सोने से भी मंहगा बिकने वाला ये नशा चिट्टा कहलाता है.इसकी तस्दीक खुद पुलिस अधिकारी करते है , “नशे के सौदागरों के लिए ये पैसे कमाने का सबसे आसान धंधा बन गया है.” इसका असर हिमाचल प्रदेश की नई नस्ल के ऊपर दिखने लगा है.
“किसी भी नशे के सेवन के नुक़सान अलग-अलग तरह के होते हैं.” “लेकिन चिट्टा का एक ऐसा नशा है जिसका एक या दो बार सेवन करने के बाद, कोई भी इसका आदी हो जाता है. और इसे छुड़ाने के लिए कई बार मरीज़ को भर्ती भी करना पड़ता है.” सफेद रंग के पाउडर सा दिखने वाला ये नशा एक तरह का सिंथेटिक ड्रग्स है. हेरोइन के साथ कुछ केमिकल्स मिलाकर ये ड्रग्स तैयार किया जाता है.
लेकिन ये सवाल तो उठता ही है कि हिमाचल प्रदेश में पहले तो कभी ऐसी चीज़ें देखी-सुनी नहीं जाती थी? हिमाचल में आम लोगों के जीवन स्तर में बड़ा सुधार और अच्छा पैसा होना इसकी एक बड़ी वजह है.””कई माता-पिता ज्यादा लाड़-प्यार कर बच्चों की हर अच्छी-बुरी आदत को नजरअंदाज कर देते हैं जो बाद में उन पर भारी पड़ जाती है.””इसके अलावा बेरोज़गारी और तेजी से बदलता नया माहौल भी एक बड़ा फ़ैक्टर है.””युवाओं के पास रोज़गार ना होने की वजह से भी वो कई बार नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं. ये समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है.”
एक ज़माने में इस पहाड़ी राज्य हिमाचल को बदनाम करने वाले भांग, अफ़ीम और चरस जैसे ख़तरनाक नशे की जगह अब चिट्टा ने ले ली है. सफ़ेद पाउडर जैसा दिखने वाला ये नशा युवाओं की ज़िंदगी को मौत के दोराहे पर ले जा रहा है.”चिट्टा का नशा पिछले कुछ समय में तेज़ी से बढ़ा है. हिमाचल प्रदेश में इस जानलेवा नशे की एंट्री क़रीब तीन साल पहले ही हुई है.” “जब पंजाब हरियाणा में ड्रग तस्करों पर शिकंजा कसने लगा तो इस धंधे से जुड़े लोगों ने पंजाब के साथ लगने वाले हिमाचल प्रदेश के इलाकों को अपना टारगेट बनाया.”
एस एच ओ संजय कुमार का कहना है, “ड्रग माफ़िया के नेक्सस को तोड़ने के लिए हिमाचल पुलिस ने जब इनके कई ठिकानों पर रेड की तो इनके नेटवर्क तोड़ने में बड़ी कामयाबी मिली.” “इसके अलावा स्कूल, ढाबों और सार्वजनिक जगहों पर अपनी गश्त बढ़ा कर पुलिस लगातार निगरानी कर रही है. ताकि ये आसानी से बच्चों और युवाओं को अपना शिकार न बना सके.”पुलिस काफी संख्या में नशा तस्करों को गिरफ्तार करने में सफल हुई है पुलिस जहां इसे अपनी एक बड़ी सफलता मानती है, वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि ये आकंड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि नशाखोरी हिमाचल प्रदेश में कितनी तेज़ी से अपने पैर-पसार रहा है.
हालांकि पंजाब के कड़े क़ानून की तर्ज पर हिमाचल सरकार ने भी तेज़ी से फैल रही ड्रग तस्करी को रोकने के लिए कड़े क़दम उठाना शुरू कर दिया है. लेकिन पंजाब सरकार के ड्रग तस्कर को फाँसी की सज़ा देने की वक़ालत करने के बाद हिमाचल में भी पंजाब की तर्ज़ पर सख्त क़ानून की माँग उठने लगी है.
“सरकार को ड्रग माफ़िया में अफ्रीकी और नाइजीरियाई तस्करों के शामिल होने के पुख़्ता सबूत मिले हैं. ये लोग दूसरे राज्यों से अपना नेटवर्क चला रहे हैं. इनमें कुछ विदेशी ड्रग तस्करों की गिरफ़्तारियाँ भी हुई हैं.”वहीं, हिमाचल प्रदेश में तेज़ी से ड्रग माफ़िया के बढ़ रहे मामलों को गंभीरता से लेते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी चिंता जाहिर की थी . कोर्ट ने मादक पदार्थों के व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार को कुछ सुझाव दिए थे
सरकार, पुलिस और क़ानून भले ही सख़्त हो लेकिन सच्चाई ये भी है कि हिमाचल प्रदेश में कोई बड़ा रिहैबिलिटेशन सेंटर न होने की वजह से नशे की लत के शिकार युवाओं को सही राह पर लाना भी एक बड़ी चुनौती है. सरकार और पुलिस का दावा भले ही मजबूत हो, लेकिन रोजाना कहीं ना कहीं चिट्टा और दूसरे मादक पदार्थों के तस्करों का पकड़ा जाना भी इस बात का सबूत है कि हिमाचल में इनका नेटवर्क कितना मजबूत है.