फाइलों में धूल फांक रहा सिरमौर को रेल से जोडने के प्रस्ताव , भाजपा को चुनावो में आती है याद

( जसवीर सिंह हंस )   लोकसभा चुनाव में इस बार भी जिला सिरमौर को रेल लाईन से जोडने का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। भाजपा के प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जिला सिरमौर के लोगों को रेल नेटवर्क से जोडने के सजगबाग दिखाते आ रहे हैं। वही चुनाव खत्म होते ही सिरमौर जिला में रेल पहुंचने की उम्मीद भी खत्म हो जाती है। जिला सिरमौर के उद्योगपतियों द्वारा भी पिछले 3 दशकों से जिला के औद्योगिक क्षेत्र पांवटा साहिब व कालाअंब को रेल लाईने से जोडऩे की मांग उठाई जा रही है। भाजपा सांसद वीरेंदर कश्यप मोदी के नाम पर रेल लेन के सपने लोगो को दिखाते रहे रेल मंत्री से मिलकर केवल लोगो को केवल फोटो दिखाते रहे जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ |

इसके लिए दर्जनों बार जिला के प्रशासनिक अधिकारियों,  प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार को विभिन्न संस्थाओं व चुने हुये प्रतिनिधियों द्वारा ज्ञापन भी सौपे गए। मगर यह मांग फाइलों में धूल फांक रही हैं। जिला सिरमौर के पांवटा साहिब व कालाअंब औद्योगिक क्षेत्रों में अभी सारा कच्चा माल व तैयार माल ट्रकों के द्वारा ही देश के अन्य राज्यों में पहुंचाया जाता है। यदि सिरमौर में रेल पहुंच जाती है, तो जहां समय पर उद्योगों को कच्चा माल व तैयार माल दुसरे स्थानों पर पहुंचाने में असानी होगी। वहीं भारी-भरकम किराए से भी उद्योगपतियों को निजात मिलेगी।

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सिरमौर जिला के हजारों सैनिकों को भी रेल का इंतजार :  जिला सिरमौर के हजारों सैनिक देश की सरहद पर दिन रात सेवाएं दे रहे है। इन सैनिकों को सरहदों से अपने घर आने-जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर बसों में तय करना पड़ता है। क्योंकि जिला के सैनिको को रेल पकडने के हरियाण व उत्तराखंड जाना पडता है। जिला के सैनिकों को सरहद पर जाने के लिए कालका, अंबाला व देहरादून से ट्रेन पकड़ कर यह अपने स्टेशनों के लिए रवाना होना पडता है। नाहन से अंबाला 70 किलोमीटर, देहरादून 90 किलोमीटर व कालका 110 किलोमीटर दूर है।

सर्वें तक ही सीमित रहे सिरमौर की रेलवे लाईन :  पांवटा साहिब-कालाअंब को रेलवे लाईन से जोडने के लिए कई बार सर्वे हुये। मगर कोई भी सर्वें बिना बजट के सिरे नहीं चढ़ पाया। प्रत्येक लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों द्वारा जिला सिरमौर को रेलवे से जुडऩे के वादे किए जाते हैं। मगर चुनाव के बाद दोबारा पांच वर्षों तक कोई भी रेल का नाम नहीं लेता है। दो दशक पूर्व पंजाब के घनौली से सोलन व सिरमौर के औद्योगिक क्षेत्रों को रेल लाईन से जोडने के लिए बद्दी-पिंजौर-कालाअंब-पांवटासाहिब के लिए रेल लाइन का सर्वे रेलवे द्वारा करवाया गया। जिसके निर्माण के लिए भारी-भरकम राशि खर्च होने के चलते इसके लिए केंद्र सरकार ने आज तक बजट का प्रावधान नहीं किया। उसके बाद पांवटा साहिब को देहरादून व यमुनानगर से रेल लाईन से जोडऩे के लिए केंद्र सरकार से मांग उठाई गई। मगर यह मांग भी दशकों से सिरे नहीं चढ़ी | इस बार  के भाजपा सांसद वीरेंदर कश्यप मोदी के नाम पर जीत तो गये थे पर जनता में विरोध के चलते उनका टिकट  भी कट गया है |

जिला सिरमौर में आईआईएम सिरमौर, नाहन मेडिकल कॉलेज, पांवटा डेंटल कॉलेज, कालाअंब में शिक्षण संस्थान, पांवटा साहिब के समीप राजबन में बन रही भारतीय सेना की यूनिट सहित कई प्रदेश सरकार के बडे संस्थान खुले है। जहां पर देश के विभिन्न हिस्सों से कर्मचारी नौकरी के लिए पंहुच रहे है। बिना रेल के इन कर्मचारियों को यहां पंहुचने के भारी परेशनियों का सामना करना पडता है। इसके अतिरिक्त पांवटा साहिब स्थित ऐतिहासिक गुरूद्वारा, मिश्रवाला में मदरसा, बडू साहिब इटरनल विवि, अंर्तराष्ट्रीय वैटलैड श्रीरेणुकाजी झील, हरिपुरधार माता भंगायणी मंदिर व चूड़धार मंदिर में प्रति वर्ष देश – विदेश के लाखों छात्रा व पर्यटक रेल के अभाव में गाडियों में कई दिनों तक सफर कर यहां पंहुचने को मजबूर होते है।

जिला सिरमौर को रेल लाईन से जोडने के लिए संसद में कई मुद्दा उठाया गया। जिला सिरमौर के लिए घनौली-बद्दी-पिंजौर-कालाअंब-पांवटा साहिब, पांवटा साहिब-यमुनानगर व पांवटा साहिब-देहरादून के जोडने के प्रयास किये गये। बजट के अभाव के रेल लाईन का कार्य शुरू नहीं करवा पाया।

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