( नीना गौतम ) सरकार सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने को लेकर नए-नए कदम उठा रही है। इन्हीं कदमों में से एक कदम है
सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाएं शुरू करना। सरकार के इस कदम से सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्यां भी बढ़ी और अभिभावकों का रुझान भी पर बहुत से ऐसे सरकारी स्कूल है जिनमें नर्सरी कक्षाएं तो है पर सुविधाओं का अभाव है। हम यहां बता रहे है जिला कुल्लू की मौहल पंचायत के राजकीय प्राथमिक केंद्र पाठशाला मौहल की कहानी। यहां नर्सरी कक्षा में लगभग 25 बच्चे पढ़ रहे है पर पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं है और साथ में लंच की व्यवस्था भी नहीं और अन्य सुविधाओं का भी अभाव है। ऐसे में इन सभी बच्चों को गुणात्मक शिक्षा में हासिल नहीं हो पा रही है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल सरकार का नारा शिखर की ओर हिमाचल गलत साबित हो रहा है।
वहीं राजकीय प्राथमिक केंद्र पाठशाला की एसएमसी प्रधान रजनी देवी ने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए नर्सरी कक्षाएं शुरू की ताकि सरकारी स्कूल निजी
स्कूलों को टक्कर दे पाएं।उन्होंने बताया कि मौहल स्कूल में मौहल,अप्पर
मौहल,पंडितबेहड़,गदौरी आदि इलाकों से लगभग 25 बचे नर्सरी कक्षा में पढऩे आते हैं और आने वाले वर्षों में संख्या बढ़ सकती है पर अध्यापक न होने के कारण बच्चों की शिक्षा भगवान भरोसे है। साथ ही बच्चों के न ही लंच की व्यवस्था है और अन्य सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग कि वह स्कूल में नर्सरी कक्षा के लिए अध्यापक भेजें और अन्य सुविधाओं को भी दुरुस्त करें।