कारावास एवं सुधार सेवाओं द्वारा ‘जेल में कैदियों को सकारात्मक कार्यो से जोड़ना’ विषय पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कैदी राज्य और समाज की जिम्मेदारी हंै। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वह केदियों के पुनर्वास के लिए किए जा रहे कार्यों में अपना सहयोग दें ताकि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
उन्होंने कहा कि कैदी समाज के सबसे अधिक उपेक्षित वर्ग है, जिस कारण आम तौर पर लोग जेल में बन्द कैदियों और उनके परिवारों के सम्बन्ध में अच्छी सोच नहीं रखते। जेल में बन्द होने के कारण कैदी का जीवन कठिनाई भरा तो होता ही है साथ ही उसके परिवार के लोगों को भी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि देश की सभी जेलें कैदियों के कौशल विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और जेल में रहते हुए कैदियों को परिश्रम कर आय अर्जित करने के अवसर प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जेल फैक्ट्रियों द्वारा वर्ष 2016 में 200 करोड़ रुपये का कारोबार करना कोई कम उपलब्धि नहीं है।
राज्यपाल ने बताया कि आपातकाल के दौरान वे जेल में रहे जहां उन्हें कैदियों से बातचीत करने तथा उनके जीवन के सम्बन्ध में काफी कुछ जानने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि जेलों में अधिक संख्या में कैदी हैं और इस मानव शक्ति का उचित दोहन किया जाना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के राज्यपाल का पदभार ग्रहण करने के बाद प्रदेश में यह उनका पहला समारोह है और वह जेल सुधार के मामलों तथा कैदियों के पुनर्वास के प्रति चिन्तित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य ने कैदियों के पुनर्वास की दिशा में सराहनीय कार्य किया है और हर हाथ को काम परियोजना की भी व्यापक सराहना हुई है। उन्होंने इस सराहनीय परियोजना के लिए पुलिस महानिदेशक (जेल) की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि हिमाचल में महिला कैदियों को जेल के बाहर रोजी-रोटी कमाने के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं और अन्य राज्यों को भी इसे अपनाना चाहिए।
उन्होंने ई-पेशी और ई-प्रीजन साॅफ्टवेयर के लिए जेल विभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने न केवल मुख्यालय और जेल बल्कि कैदियों और उनके परिजनों के मध्य वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा के लिए भी विभाग की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विभाग भविष्य में भी कैदियों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इस प्रकार के आधुनिक प्रयास जारी रखेगा।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्षा डेजी ठाकुर ने कहा हिमाचल प्रदेश की जेलों में कैदियों के लिए जेल मेनुअल के हिसाब से सभी आवश्यक प्रबन्ध किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं इन जेलों का निरीक्षण किया है। उन्होंने कैदियों के बेहतर पुनर्वास के लिए ओपन जेल की स्थापना करने और उनके कौशल विकास पर बल दिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) मनोज कुमार ने कहा कि कैदियों से जुड़ी अधिकतम समस्याओं का निवारण बेहतर बुनियादी ढांचे के विकास से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कैदियों के पुनर्वास के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए, जिससे वे जेल से निकलने के बाद समाज में सम्मान से जी सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कैदियों के लिए उठाए गए कदम अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण हैं। उन्होंने स्वयंसेवक संघों और औद्योगिक घरानों से भी कैदियों के पुनर्वास के लिए सहयोग देने का आग्रह किया।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस दो दिवसीय विचार-विमर्श से हम समाज के पुनर्वास के कार्यक्रमों में सुधार के लिए व्यावहारिक सुझाव दे सकेंगे। इस अवसर पर ब्यूरो आॅफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के महानिरीक्षक तेजिंदर सिंह ने भी अपने विचार सांझा किए।इससे पूर्व, जेल और सुधार सेवाओं के महानिदेशक सोमेश गोयल ने इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत व सम्मान किया तथा सम्मेलन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने जेल के कैदियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी।राज्यपाल ने जेल और सुधार सेवाओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी स्टाल का भी दौरा किया तथा कैदियों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं में गहरी रुचि दिखाई।नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट, डीजीपी, पूर्व डीजीपी, 20 राज्यों के प्रतिनिधि व शिक्षा जगत और सिविल सोसायटी के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।