प्रदेश सरकार द्वारा आगामी 7 से 8 नवम्बर, 2019 को धर्मशाला में प्रस्तावित ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट’ को सफल बनाने के लिए शिमला में बहुउद्देशीय परियोजना एवं ऊर्जा विभाग द्वारा पावर काॅन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें 2927 मैगावाट की क्षमता वाली जल विद्युत परियोजनाओं के लिए 10 एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए गए, जिनमें 25,772 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। इससे 13,250 लोगों को रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की तीन अग्रणी ऊर्जा एजेंसियां एसजेवीएनएल, एनटीपीसी, एनएचपीसी राज्य में पनबिजली का दोहन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि जल विद्युत परियोजना के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश देश का एक अग्रणी राज्य होना गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस क्षेत्र के महत्व को समझती है, क्योंकि यह न केवल राज्य की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि पड़ोसी राज्यों को बिजली की आपूर्ति करने वाला राज्य भी है और प्रदेश के लिए राजस्व प्राप्ति का मुख्य साधन भी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के आयोजन का उद्देश्य राज्य के लिए निवेश आकर्षित करना है, जिससे राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी मिलेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अब तक लगभग 75,700 करोड़ रुपये के 570 एमओयू पर हस्ताक्षर करने में सफल रही है, जिससे राज्य में प्रगति और समृद्धि के एक नए युग का उदय होगा।
जय राम ठाकुर ने कहा कि इसके अतिरिक्त, प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं की अधिक से अधिक स्थापना के लिए और इस क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतियों का सरलीकरण किया गया है तथा आबंटित परियोजनाओं के लिए 12 वर्षों की अवधि के लिए निशुल्क पाॅवर राॅयल्टी को स्थगित किया गया है। इसके अतिरिक्त अपफ्रंट प्रीमियम तथा केपेसिटी एडिशन चार्जिज में कमी से प्रदेश में हाईड्रो क्षेत्र में सततः विकास करने में सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश एक प्रकृति सुविधा सम्पन्न राज्य है, क्योंकि पांच नदियां बहने के कारण यहां 23500 मैगावाॅट से अधिक जल विद्युत ऊर्जा दोहन की क्षमता है। उन्होंने कहा कि राज्य में 1988 में ही ग्रामीण क्षेत्रों में शत-प्रतिशत विद्युत आपूर्ति प्रदान कर दी गई थी तथा आज प्रदेश ‘स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा गंतव्य’ के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने निवेशकों को धर्मशाला में 7 और 8 नवंबर, 2019 को आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार की ओर से आमंत्रित किया।
जय राम ठाकुर ने रूफटाॅप सोलर पीवी (यूएसआरटीपीवी) के प्रसंस्करण के लिए आॅनलाइन पोर्टल यूनिफाइड सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल का भी शुभारम्भ किया, जो उपभोक्ताओं को रूफटाॅप सौर प्रणाली के लिए आॅनलाइन आवेदन करने में सक्षम बनाएगा और प्रासंगिक हितधारक इस पोर्टल के माध्यम से आॅनलाइन आवेदन कर सकेंगे।
प्रदेश में मिनी रतना के नाम से प्रसिद्ध एस.जे.वी.एन.एल. ने 1958 मैगावाट की क्षमता वाली सात जल विद्युत परियोजनाओं (एच.ई.पी.) के लिए एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए जिनमें लूहरी स्टेज-1, लूहरी स्टेज-2, धौलासिद्ध, जंगी थोपन, पोवारी, पुरथी, बरदंग शामिल हैं। एन.टी.पी.सी. ने 520 मैगावाट की क्षमता की परियोजनाओं के लिए एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए जिसमें मियार तथा सैली जल विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं। एन.एच.पी.सी. ने 449 मैगावाट की क्षमता वाली दुग्गर जल विद्युत परियोजना के लिए एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किया।
बहुउद्देशीय परियोजना एवं ऊर्जा विभाग ने जल विद्युत परियोजनाओं के अतिरिक्त सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तीन निजी कम्पनियों के साथ भी 1040 करोड़ रुपये के एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए है जिससे 1500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। कुल 26,812 करोड़ रुपये के निवेश के एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए गए जिनसे 16,000 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश योग्य एवं कुशल नेतृत्व के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का आभारी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जय राम ठाकुर के नेतृत्व में देश का ऊर्जा राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
मुख्य सचिव डाॅ. श्रीकांत बाल्दी ने विद्युत काॅन्क्लेव को सफल बनाने के लिए निवेशकों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 7 और 8 नवम्बर को धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार की ओर से निवेशकों को आमंत्रित किया तथा इस काॅन्क्लेव के आयोजन के लिए विद्युत विभाग का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इससे निवेशकों को बिजली क्षेत्र में निवेश करने का अवसर मिलेगा।
प्रधान सचिव ऊर्जा प्रबोध सक्सेना ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए राज्य में ऊर्जा क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका की सराहना की और राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों को साझा किया। उन्होंने बताया कि अगले दो वर्षों के दौरान, 645 मेगावाट क्षमता को जोड़ा जाएगा और कुटेहर और लुहरी स्टेज- एक की दो एचईपी परियोजनाओं का निर्माण शुरू होगा। उन्होंने यह भी साझा किया कि विभाग ने कुछ आवंटित परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए समयसीमा निर्धारित करके इन्हें समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के चरण में लाया है, जो पहले नहीं किया जा सकता था।
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसजेवीएनएल नंद लाल शर्मा और अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एनएचपीसी बलराज जोशी ने हिमाचल प्रदेश के लिए अपने संगठनों के दृष्टिकोण को सांझा किया और राज्य में हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की सक्रिय और सहायक भूमिका पर संतोष व्यक्त किया। निदेशक एनटीपीसी श्री ए.के.गुप्ता ने भी इस अवसर पर एक प्रस्तुति दी।
निदेशक ऊर्जा मानसी सहाय ठाकुर ने एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने राज्य में हाइड्रो पावर सेक्टर और पन बिजली परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति के बारे में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग मनोज कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। हिमाचल प्रदेश विद्युत नियमित आयोग के अध्यक्ष एसकेबीएस नेगी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय कुंडू, एमडी एचपीएसईबीएल के.पी. कालटा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमऊर्जा कृतिका तथा राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।