काव गीत के साथ ऐतिहासिक मंदिर ओलवा में मनाई गई अनोखी दीपावली

(नीना गौतम ) उपमंडल के तहत ओलवा गांव में हजारों सालों प्राचीन रीति-रिवाजों का दिवाली उपलक्ष्य पर मनमोहक नजारा देखने को मिला। जहां एक ओर पूरे दीवाली पूरे भारत में अद्वितीय त्यौहार के रूप में मनाई जाती है वहीं ओलवा गांव में भी प्राचीन परम्पराओं का बखूबी निर्वहन करते
हुए दिवाली उत्सव बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाई गई। दिवाली की रात को गांव के सभी ब्राह्मण एक भव्य मशाल को लेकर मंदिर के गर्भ गृह से कुंडादेर्ची को निकाला और परंपरा अनुसार गांव के लगभग 100 से अधिक विवाहित पुरुषों ने भाग लेकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर मढराणें
का पूजन किया। डमरू नृत्य के साथ राम-रावण का युद्ध को याद किया गया जो असत्य और बुराई पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है।

पूरी रात आग जलाई जाती है जिसमें चावल और अखरोट डालें जाते हैं । प्राचीन गीत कावे गाकर माहौल सुंदर बनाए रहा और मिटती जा रही अपनी पारंपरिक संस्कृति और सभ्यता को जिंदा बनाए रखने का संदेश दिया । इस दौरान कुलक्षेत्र महादेव ओलवा व अतिथि के रूप शामिल जोगेश्वर महादेव दलाश अपने सैंकड़ों देवलुओं के साथ शरीक हुए। दीपावली के अगले दिन महिलाएं पारम्परिक वेश.भूषा में सजकर देवताओं की पूजा-अर्चना करती हैं। दोपहर को बगड़ी की बनी घास से एक विशेष प्रकार का लंबा रस्सा बनाया जाता है और उसे खींचा जाता है जो परंपरा के अनुसार देव.दानव युद्ध को दर्शाता है। जिसमें अंतत: देवों की विजय होती है। यह असत्य पर सत्य और शक्तिशाली होने का प्रतीक है।

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शाम को महिला मंडल गलोग, ढ़ेर, कंडागई की महिलाओं ने पारंपरिक वेश-भूषा में सजकर सुंदर नाटी का आयोजन करके इस पल को ऐतिहासिक बना दिया। देवताओं की विदाई के समय सभी देवलू और क्षेत्रवासी खूब थिरकते हुए नजर आएं। क्षेत्रवासियों ने शीश नवाकर नम आंखों से देवताओं को विदाई दी और क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए अगले वर्ष आने का न्योता दिया। इस अवसर पर मन्दिर कमेटी के कारदार कमलेश शर्मा, मोहर लाल शर्मा, विजय शर्मा, हुकम शर्मा, धर्म पाल शर्मा, विवेक शर्मा, संजीव शर्मा, महिंद्र शर्मा, प्रवीण, दिनेश शर्मा, राजेश शर्मा मौजूद रहे। वहीं पटारना गांव में भी दीपावली पटारनी नाग के सानिध्य में बड़े धूमधाम से मनाई जिसमें गांव के लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। पटारनी नाग के कारदार संतोष कुमार ने बताया की हमें पुरानी संस्कृति को संजोकर रखना चाहिए और नई आने वाली पीढ़ी को अपने प्राचीन रीति-रिवाजों से परिचित करवाना चाहिए। वहीं रात को वहां की स्थानीय महिलाओं नें एक विशाल नाटी का आयोजन किया जिसके माध्यम से सैकड़ों महिलाओं ने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओं का संदेश दिया।

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