देवी-देवता समाज का कल्याण करते हैं और सामाजिक प्राणियों की रक्षा। न कि किसी प्राणी को परोक्ष रूप से सजा देने का आदेश देते हैं। देवता की सजा अपरोक्ष रूप से होती है जिसे देखा या महसूस नहीं किया जा सकता। यह बात पुजारी कल्याण संघ के प्रवक्ता धनेश गौतम ने यहां मंडी में जारी एक प्रेस ब्यान में कही। उन्होंने कहा कि देवता व देव समाज में आदिकाल से महिलाओं की पूजा की जाती है। देव संस्कृति में महिलाओं,वेटियों,अवलाओं, जाई, धीहायणी,विधवाओं, की पूजा व मान सम्मान होता है। देव गाथा में देवता स्पष्ट कहते हैं कि बेटियों की रक्षा के लिए मैं सात समंदर पार भी जाता हूं। फिर सरकाघाट में यह देव संस्कृति की कौन सी घृणित तस्वीर सामने आई। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह घृणित व तुछ लोगों की सोच का ही परिणाम है कि देवता व देव संस्कृति को आधार बनाकर ऐसी घटना को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना निंदनीय ही नहीं बल्कि सहन करने योग्य नहीं है इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा है कि देव समाज व पुजारी कल्याण संघ इस घटना की घोर निंदा करता है। उन्होंने कहा कि देवता के नाम पर जो हुआ है वह एक सोची समझी साजिस है। देव समाज इस तरह की कोई इजाजत नहीं देता है। न आज तक ऐसा हुआ है न भविष्य में ऐसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग घटना के दौरान नारे लगा रहे हैं वोह भी देव संस्कृति के नहीं है। देव समाज में कभी भी किसी को इस तरह का कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए इस मामले पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और देव समाज को बदनाम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीडियो देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई देव समाज के लोग नहीं है। किसी बाबा के भगत लगते हैं। यह लोग बाबा जी की जय जय कार कर रहे हैं और साचे दरबार के नारे लगा रहें हैं। जबकि देव समाज में इस तरह की नारेबाजी नहीं होती।