विहाली के विस्थापित अब मुख्यमंत्री की शरण में

(नीना गौतम )पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण-3 में एक तरफ एनएचपीसी विस्थापितों को रोजगार देने का ढिंढोरा पीट रही है वहींदूसरी तरफ विस्थापितों को रोजगार के दरवाजे बंद है। मजे की बात यह है कि पार्वती चरण-3 में वैसे तो एनएचपीसी ने रोजगार के लिए नो एंट्री कासिग्नल दिया है लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि बाहरी लोगों को चोरदरवाजे से भर्ती किया जा रहा है जिसका उदाहरण गत दस माह में चार लोगों को बैक डोर से नौकरी दिलाना है जिसका खुलासा पार्वती प्रोजेक्ट के ऑफिस से विश्वस्त सूत्रों ने किया है। उल्लेखनीय है कि पावर हाउस के साथ लगते विहाली गांव के 3 विस्थापित परिवारों के जख्म अभी भी हरे हैं। रोजगार के लिए तरस गए ये परिवार मुख्यमंत्री की शरण में जाने को मजबूर हुए हैं।


ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें रोजगार से वंचित रखा जा रहा है जबकिबाहरी लोगों के हौसले बुलंद है। पावर हाउस के समीप लगते गांव के नीरतसिंह सुभाष ठाकुर व चूड़ामणि आदि ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने राष्ट्रहित में अपनी मातृभूमि को कुर्बान किया है लेकिन बदले में मात्र विस्थापन व हवाई घोषणाएं ही मिली है। उन्होंने कहा कि वे पिछले दस वर्षों से एनएचपीसी चरण-3 में अस्थाई रोजगार की मांग कर रहे हैं लेकिन एनएचपीसी हर बार आश्वासन देती रही है कि जल्द रोजगार मुहैया कराया जाएगा। विस्थापित परिवारों ने हैरानी जताते हुए कहाकि एनएचपीसी विस्थापित परिवारों की अनदेखी कर रही है और बाहरी लोगों को चोर दरवाजे से रोजगार प्रदान कर रही है।

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बता दें कि सैकड़ों लोगों को विस्थापन का सौगात देने वाली पार्वती परियोजना चरण तीन में विस्थापितों की कोई पूछ नहीं है। हालांकि निर्माण कार्य के दौरान परियोजना प्रबंधन चरण तीन विहाली ने विस्थापित परिवारों को रोजगार देने के सब्जबाग दिखाए थे किंतु राष्ट्र की नामी कंपनी एनएचपीसी प्रबंधन की बेरुखी के चलते सब हवा हो गए हैं। आलम यह है कि पार्वती पावर स्टेशन विहाली में अपनों को जगह नहीं बल्कि चोर दरवाजे से बाहरी लोगों व अपने चहेतों की एंट्री बैक डोर से पार्वती पावर स्टेशन के अधिकारी कर रहे हैं। विस्थापित परिवारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि एनएचपीसी प्रबंधन को उचित दिशा-निर्देश देकर विस्थापित परिवारों को न्याय दिलाया जाए। बहरहाल विहाली के विस्थापित अब मजबूरन मुख्यमंत्री की शरण में पहुंच गए हैं और अपनी पाती भेज कर न्याय की गुहार लगाई है।

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