कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए राष्ट्रव्यापी संकट से निपटने के लिए प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अघिकारी अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की सेवा कर कर रहें है । इस राष्ट्रीय आपदा में विशेषकर पुलिस कर्मी रात-दिन, कड़ी धूप व बारिश अपनी ड्यूटी ओर मुस्तैद दिखाई देते हैं। ऐसा ही उदाहरण राजगढ़ शहर की पुलिस का है जो कोविड-19 के खतरे के बाद से ही लगातार ड्यूटी पर बने हुए हैं । लॉकडाउन और कर्फ्यू के पालन करवाने के अतिरिक्त राजगढ़ पुलिस के जवान लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने और निर्धन व जरूरतमंद लोगों को भोजन व अन्य व्यवस्थाएं प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई जा रही है । बता दें शिमला व सोलन से अनेक लोगों को राजगढ़ की सीमा यशवंतनगर बेरियर पर रोक कर राजगढ़ क्वांरईटीन केंद्र में पहुँचाने की जिम्मेदारी भी राजगढ़ पुलिस ने बखूबी निभाई है ताकि बाहर से आने वाले लोगों से कोरोना वायरस फैलने की संभावना उत्पन्न न हो ।
राजगढ़
पुलिस थाना में कार्यरत एएसआई वेदप्रकाश शमार्, हेड कॉन्स्टेबल हेमंत चौहान , सुनील शर्मा, सुनील ठाकुर, यशवंतनगर पुलिस चौकी के प्रभारी राकेश कुमार का
कहना हैं कि उन्हें अपने परिवार से मिले हुए 3 – 4 महीने हो गए हैं । और अभी आगे ना जाने
कितने समय तक परिजनों से मिलना संभव नहीं हो सकेगा । लेकिन उन्हें इस बात का संतोष
है कि उनके परिजन और सारा क्षेत्र इस विपदा से अभी तक सुरक्षित है । राजगढ़ के
शिरगुल और खैरी चौक पर ड्यूटी पर मुस्तैद जवानों का कहना है कि उनका
विभाग पूरी मुस्तैदी से इस विपदा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है । लेकिन जनता का सहयोग
भी आवश्यक है । राजगढ़ थाना में केवल दो महिला कांस्टेबल है जो इस विपदा में बड़ी
तत्परता और कर्तव्यनिष्ठा से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है जबकि इनके
स्थान पर डियूटी देने के लिए अतिरिक्त महिला कांस्टेबल नहीं है । डी एस पी भीष्म ठाकुर
ने कहा कि लोगों में पुलिस की
नकारात्मक छवि है जबकि आपदा की स्थिति में पुलिस के जवान ही अग्रिम पंक्ति पर खड़े
मिलते हैं ।