प्रदेश में फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने के दृष्टिगत कृषि विभाग सोलन ने किसानांे के लिए आवश्यक परामर्श जारी किया है। यह जानकारी आज यहां उपनिदेशक कृषि डाॅ. पीसी सैनी ने दी।
डाॅ. सैनी ने कहा कि यह टिड्डी दल हवा के साथ क्षेत्र विशेष में पहुंचता है। उन्होंने कहा कि जब यह टिड्डी दल किसी विशेष क्षेत्र में पहुंचता है तो तुरंत इसका उपचार रसायन इत्यादि के साथ किया जाना चाहिए।
उपनिदेशक कृषि ने कहा कि टिड्डी दल का समूह एक दिन में 150 से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। इनका समूह एक वर्ग किलोमीटर से कई सौ किलोमीटर तक का होता है। यह समूह दिन में उड़ता है तथा रात को किसी जगह बैठकर विश्राम करता है। उन्होंने कहा कि भारत में टिड्डी दल का समूह पाकिस्तान की तरफ से राजस्थान के रास्ते प्रवेश कर गया है। फसल को इनके कारण होने वाले व्यापक नुकसान के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों में इस सम्बन्ध में चेतावनी जारी की गई है। उन्हांेने कहा कि सोलन जिला के लिए भी यह चेतावनी जारी की गई है।
डाॅ. पीसी सैनी ने कहा कि उचित प्रबंधन से किसान टिड्डी दल को खेतों से दूर रख सकते हैं। प्रभावित खेतों के आसपास कृषक ड्रम अथवा बर्तनों इत्यादि से तेज आवाज निकाल कर टिड्डी दल को फसल से दूर रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के समूह पर कलोरपायरीफाॅस 20 ईसी (ईमल्सीफाईड कन्सनट्रेशन) का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर अथवा मेलाथियाॅन (यूएलबी) का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर या लैम्ब्डा सयलोथ्रिन 4.9 प्रतिशत सीएस का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर अथवा रोकर स्प्रेयर से छिड़काव करें। यह छिड़काव शाम अथवा रात के समय करें क्योंकि टिड्डियां रात के समय बैठकर आराम करती हैं। उन्होंने कहा कि किसान खेत में फसल से दूर आग जला सकते हैं, जिसमें टिड्डी दल आकर्षित होकर जलकर समाप्त हो जाएगा। उन्होंने आग्रह किया कि किसान विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में जारी किए गए परामर्श का अनुसरण करें ताकि टिड्डी दल के हमले की सम्भावना में क्षति को न्यून किया जा सके।