( जसवीर सिंह हंस ) क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौला कुआं में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक खास पहल की गई थी जिसके बाद कई में महिलाएं आत्मनिर्भर बन गयी है तथा रोजाना हजारों रुपए की कमाई कर अपना घर चला रही है | जानकारी देते हुए डॉ प्रियंका ठाकुर प्रिंसिपल फ्लोरीकल्चर डिपार्टमेंट ने बताया कि उनके यहां महिलाओं को विभिन्न प्रकार के एग्रीकल्चर तथा फॉरेस्ट वेस्ट से घर के सजावटी सामान बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है जिसके बाद कई महिलाएं सजावटी सामान बनाकर बाजार में बेच रही हैं |
बढ़ती बेरोजगारी से के चीड़ वन अब धीरे-धीरे वहां के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नजरिए से कारगर साबित हो रहे हैं। लोगों ने रोजगार का जरिया चीड़ के पेड़ों से ही खोज निकाला है।अच्छी बात यह हुई कि लोगों ने ऐसा करते हुए पर्यावरण से छेड़-छाड़ भी नहीं की। एक स्वभाविक प्रक्रिया के रूप में हासिल कच्चे माल पिरूल, स्योत और बगट से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने की जुगत भिड़ा ली है।
वन संपदा और पर्यावरण को आग से बचाने व दूषित होने तथा लोगो के स्व-रोजगार के लिए जो युक्ति निकाली उनमें चीड़ के पेड़ से स्वभाविक रूप से प्राप्त ‘बगट’ व ‘ठीटे’ को हस्तशिल्प के तहत इस्तेमाल कर विभिन्न प्रकार के उत्पाद बना एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है।इस नायाब प्रयोग को स्थानीय लोगों द्वारा अपनाए जाने से नए हस्तशिल्प उद्योग के श्रीगणेश के साथ-साथ निर्मित उत्पादों से स्वरोजगार का बड़ा जरिया स्थापित किए जाने की संभावना व्यक्त की जा सकती है।
चीड़ का ‘बगट’, ‘ठिट’ व ‘पिरूल’ वनों और पहाड़ी नदियों के इर्द-गिर्द बड़ी मात्रा में बेकार पड़ा रहता है। जिसे आम तौर पर स्थानीय लोग इक्ट्ठा कर इसका इस्तेमाल जलावन के रूप में करते रहे हैं। अब ‘बगट’ व ‘ठीठे’ का हस्तकला में उपयोग होने से चीड़ पेड़ की उपयोगिता बढ़ गई है।मुख्यतया प्राकृतिक तौर पर प्राप्त चीड़ के ‘ठिट’ (फल), ‘बगट’ (छाल) व बुरादे पर उत्कृष्ट हस्तशिल्प से | टेलीफोन, टेबल लैम्प, बिजली के बड़े सैड व स्विच, बटन, फोटो फ्रेम, हाथ व दीवार घड़ी, बैल्ट, टाई व खेल के सजावटी सामान इत्यादि अनेकों प्रकार की मजबूत सजावटी कलाकृतियों को उसके वास्तविक रंग में उकेर कर व उन्हें बाजार में बिक्री हेतु मुहैया कर चीड़ पेड़ की उपयोगिता सिद्ध की है।
‘बगट’ व ‘ठिट’ से निर्मित हस्तशिल्प का साजो-सामान प्लाष्टिक से हल्का, सस्ता, टिकाऊ व अपने वास्तविक रंग में निर्मित होने से अत्यधिक आकर्षण शील है। निर्मित जेवर व अन्य कई वस्तुऐं फैशन का रूप रखने की ओर अग्रसर हैं। जेवरों में नग जड़ कर उन्हें ज्यादा कलात्मक बनाया गया है।
अन्य उत्पाद शौकिया तौर पर घरों की सजावट के तहत उपयोग में लाए जाने योग्य हैं। बनी कलाकृतियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से लाया ले जाया जा सकता है। उत्कृष्ट हस्तशिल्प की इन कलाकृतियों की बाजार मांग दिन पर दिन बढ़ती देखी जा रही है।