वन महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित कर वन विभाग पांवटा साहिब में एक लाख पौधारोपण करने के फर्जी दावे कर रहा है तथा स्वयं ही विभाग द्वारा एक पौधे लगाए जाने के झूठे दावे किए जा रहे हैं जबकि आम किसान तथा आम लोगों को पौधारोपण करने के नाम पर विभाग पौधे उपलब्ध कराने में असहाय हैं ऐसे में उच्च अधिकारियों को स्थानीय अधिकारी झूठे आंकड़े भेजकर गुमराह करना चाह रहे हैं
हाईवे बनाने के नाम पर सैकड़ों पेड़ों की बलि ली जा रही है परंतु उनके बदले अभी तक एक भी वृक्ष रोपित नहीं किया गया है स्थानीय लोगों ने कई बारी हाईवे पर बड़े पीपल के पेड़ आदि काटने का विरोध किया परंतु विकास के नाम पर वृक्षों की बलि लेने में देर नहीं हो रही है परंतु वृक्षारोपण के नाम पर झूठे आंकड़े पेश किए जा रहे हैं
सच्चाई यह है कि किसानों व आम आदमी को पौधारोपण या अपने खेतों में पेड़ लगाने के लिए उपलब्धि नहीं कराए जा रहे तथा सलाह दी जाती है कि माजरा या भगानी जाकर पेड़ लाएं डीएफओ कुणाल इंग्लिश से इस विषय पर जब बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि पावटा साहिब में वृक्ष लगाने की जगह नहीं है इसलिए रामपुर घाट की नर्सरी बंद कर दी गई है माजरा 15 किलोमीटर है वहां से जाकर किसान व आम आदमी पेसे देकर पौधे ला सकते हैं ऐसे में इन अधिकारियों को कौन समझाए कि आम आदमी या किसान को जांच घर द्वार जाकर विभाग को पौधे उपलब्ध कराने चाहिए वही वृक्षारोपण के फर्जी दावे करने वाले यह अधिकारी लोगों को माजरा या बंगाली 20 किलोमीटर जाने की सलाह देते हैं
धरा को हरा-भरा करने के उद्देश्य से हर साल पौधारोपण अभियान युद्धस्तर पर चलाया जाता है, लेकिन यह अभियान कागजों तक ही सिमटकर रह जाता है। वन विभाग के अफसर ही इसे पलीता लगा रहे हैं।चौतरफा पौधारोपण अभियान के दावे किये जाते है परन्तु जमीनी हकीकत कुछ और है। इसके तहत दावे किए जा रहे हैं कि हरियाली ही हरियाली होगी। पर्यावरण को संतुलित करने के लिए सरकारी विभाग भी अपने-अपने लक्ष्य के अनुरूप पौधे रोपित कराने का कार्य करने के दावे कर रहे है ।वही वन विभाग पर भी वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के बदले में पौधे लगाने के बजाय कागजों पर पौधरोपण के नाम से पैसों की बंदरबांट किए जाने का आरोप लगते रहे है ।