पांवटा साहिब : गर्भवती महिलाओ को नहीं मिल रही निशुल्क अल्ट्रासॉउन्ड सुविधा

निजी क्लीनिकों से महंगे दामों पर करवाने पड़ रहे अल्ट्रासॉउन्ड

पांवटा साहिब में सरकारी दावे की प्रसव पूर्व व उपरांत गर्भवती महिलाओ को सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधा तथा जांच निशुल्क मुहैया करवाई जा रही है के दावे खोखले सिद्ध हो रहे है। क्यूंकि पांवटा सिविल अस्पताल में पिछले लम्बे समय से गर्भवती महिलाओ को निशुल्क अल्ट्रासॉउन्ड सुविधा नहीं मिल पा रही है और उन्हें मजबूरन निजी क्लीनिकों से महंगे दामों पर अल्ट्रासॉउन्ड करवाने पड़ रहे है। वही स्पेशलिस्ट कहलाने वाला डॉक्टर जो कि कमीशन खोरी के लिए तथा रेफर करने के लिए प्रसिद्ध है महंगी दवाइयां लिखकर भी गरीब लोगों को जेब खाली करने के लिए मजबूर कर रहा है

सरकार द्वारा एक योजना के तहत प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ग़र्भवती महिलाओ को प्रसव पूर्व व उपरांत सभी चिकित्सीय सुविधा जाँच सहित उपलब्ध करवाई जाने की बात सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार कर लोगो को बताई जा रही है। परन्तु धरातल पर ऐसा कुछ न होने से सरकारी अस्पतालों में आने वाली ग़र्भवती महिलाओ व उनके परिजनों को निराशा के आलावा कुछ नहीं मिलता। पांवटा सिविल अस्पताल में अल्ट्रासॉउन्ड मशीन उपलब्ध होने के बावजूद भी ग़र्भवती महिलाओ के अल्ट्रासॉउन्ड न हों पाना इसका जीता जागता सबूत है जबकि महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार एक ग़र्भवती महिला के प्रसव से पूर्व गर्भ में पल रहे फिट्स के विकास को जांचने के लिए चार अल्ट्रासॉउन्ड करवाए जाने आवयशक होते है। इस आवश्यकता को देखते हुए पांवटा सिविल अस्पताल में आने वाले ग़र्भवती महिलाओ को पांवटा के निजी क्लिनिक से अपने चारो अल्ट्रासॉउन्ड करवाने पड़ रहे है। जिसके लिए उन्हें प्रति अल्ट्रासॉउन्ड 700 से 900 रूपए तक चुकाने पड़ रहे है।

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ऐसे में जहा आम परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है वही सरकारी योजना का उद्देश्य भी विफल होता दिखाई दे रहा है। ऐसी भी जानकारी है की स्वास्थ्य विभाग जिला सिरमौर द्वारा पांवटा सिविल अस्पताल की इस समस्या के समाधान के लिए निजी क्लीनिकों से सरकारी खर्चे पर ग़र्भवती महिलाओ के अल्ट्रासॉउन्ड करवाने की योजना सभी आवयश्क कार्यवाई के पश्चात मंजूरी के लिए विभाग के आलाधिकारियों को भेजी जा चुकी है परन्तु चार वर्ष का समय बीत जाने पर भी इस पर कोई कार्यवाई नहीं हुई। शंका जताई जा रही हे की बाहर से अल्ट्रासॉउन्ड करवाने से लाभान्वित होने वाले लोग शायद इस योजना को पास होने में रोड़ा अटका रहे है। वही शहर के लोगो का कहना हे ऐसा जनमंच कब आएगा जब अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं हे लोग उस मुद्दे को भी जनमंच से उठाएंगे।

पांवटा सिविल अस्पताल में पिछले लगभग तीन सालो से रेडिओलॉजिस्ट न होने से ये समस्या पेश आ रही है जिसके समाधान के लिए विभाग के आलाधिकारियों के आलावा प्रदेश सरकार को भी अवगत करवाया जा चूका है जिसमे निजी क्लीनिकों से ग़र्भवती महिलाओ के निर्धारित दरों पर अल्ट्रासॉउन्ड सरकारी खर्चे पर करवाने की योजना का भी जिक्र है परन्तु अभी तक किसी भी स्तर से कोई भी आदेश प्राप्त न हो पाने के कारण आगे की कार्यवाई लंबित है।

बता दे की कुछ महीने पहले कांग्रेस के नेताओ द्वारा कहा गया था की जल्द ही इस अस्पताल में रेडियोलिजस्ट आ जाएगा जिससे अल्ट्रासॉउन्ड सुविधा शुरू हो जाएगी पर यह सभी दावे खोकले साबित हुए उलटा अब तो पांवटा अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण वार्ड में मरीजो को भी दाखिल नहीं किया जा रहा। जिसके चलते मरीजों को अपना इलाज निजी अस्पताल में करवाने को मजबूर होना पड़ रहा है जिसके चलते निजी अस्पताल महंगे दाम ले कर उनका इलाज कर रहे है। डेंगू की बिमारी के चलते सरकारी अस्पताल में मरीजों को इलाज ना मिलने के कारण लोगो को खाफी परेशानी झेलते हुए अपना इलाज निजी अस्पतालों में करवाने के लीये मजबूर होना पड़ा।

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