पांवटा साहिब में बंदरों का आतंक , माहिला पर हमला कर किया घायल

पांवटा साहिब में बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है।रामपुर घाट में सोमबार को सुबह एक महिला जब अपनी छत पर कपड़े डालने गई तो अचानक बंदर ने हमला कर दिया वह महिला के कान को जख्मी कर दिया । जिसके बाद महिला को 108 एंबुलेंस के माध्यम से सिविल अस्पताल पांवटा साहिब ले जाया गया जहां पर महिला का उपचार किया जा रहा है । जानकारी के अनुसार संगीता पत्नी राकेश कुमार जो रामपुर घाट में रहती है तथा मूल रूप से सहारनपुर निवासी है छत पर कपड़े सुखाने गई तब एक बंदर ने उस पर हमला कर उसके कान पर काट लिया। जिसके बाद उसे पांवटा अस्पताल में उपचार में लाया गया जहां मौजूद डॉ अंकुर ने महिला का उपचार किया। इस दौरान डॉ अंकुर ने बताया की महिला का उपचार शुरू कर दिया है उन्होंने बताया की कान को बंदर ने बुरी तरह काटा है उन्होंने कहा की ठीक होने में समय लगेगा।

गौरतलब है कि पांवटा व इसके आसपास के क्षेत्रो में बंदरों का आतंक इतना हो गया है कि बंदरों के द्वारा महिलाओं और बच्चों को हमला किया जा रहा है तथा इस समय शहर में बंदरों से हर कोई दहशत में है तथा घर से बाहर निकलने में भी गुरेज कर रहे हैं। वहीं पिछले दिनों में भी कई बच्चे बूढ़े तथा महिलाऐ बंदरों का शिकार हो चुकी है कई बार प्रशासन से भी इन बंदरों को पकड़ने के लिए आग्रह कर दिया गया है परंतु उसके बावजूद भी इन बंदरों को पकड़ने के लिए प्रशासन के द्वारा अभी तक कोई भी बंदोबस्त नहीं किया गया है। जिससे क्षेत्र के लोगो में रोष है। लोगो का कहना हे की बंदरो का आतंक इतना बढ़ गया हे की लोग अब घर से बहार निकलने से भी डर रहे है।लोगो का कहना हे कि बंदर पहले खाने पिने के सामान का नुकसान तो करते हु थे अब लोगो पर हमला भी करने लगे है। शहर व आस पास के गांव के लगो ने जल्द ही प्रशासन से इन बंदरो के आंतक से निजात दिलाने के अपील की है। बता दे की पांवटा व उसके आस पास के क्षेत्र में बंदरो के कारण लोग परेशान हे बिना रोकटोक बंदर पुरे क्षेत्र में घूम रहे हे और लोगो पर हमला भी कर रहे है। लोगो द्वारा इसकी शिकायत भी वन विभाग व अन्य अधिकारियो को की हे पर अभी तक प्रशासन की और से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हे जिसके कारण लोगो में रोष है। उधर इस बारे में डीएफओ ऐश्वर्या राज ने बताया की उनको शिकायत मिल रही है और विभाग इस पर कार्यवाई भी कर रहा है उन्होंने कहा की बंदर को पकड़ने के लीय पहले भी विभाग ने पिंजरे लगाए थे और आगे भी लगाए जाएंगे।

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