संगड़ाह। सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाली भूतमड़ी चूना पत्थर खदान पर गैर इरादतन हत्या और लापरवाही बरते जाने के तहत पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है यह मामला चूना खान प्रबंधन पर किया गया है।
आईपीसी 304 ए और 336…
304ए ये थोड़ी हल्की धारा होती है और ये किसी पर तब लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति द्वारा उतावलेपन में या उपेक्षापूर्ण तरीके से किए किसी ऐसे कार्य से हत्या हो जाए, जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा ना हो. हिट एंड रन के केस में ज्यादातर यही धारा लगाई जाती है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 336 के अनुसार जो कोई भी उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसा कोई कार्य करे, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड जो ढ़ाई सौ रुपए तक हो सकता है, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
बता दें कि Landslide में मंगलवार को 44 वर्षीय ग्रामीण की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक मुलतान सिंह साथ लगते गांव गनोग का रहने वाला था और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार Mines पर की गई 90 डिग्री cutting के कारण यह हादसा हुआ है। जानकारी के अनुसार सुबह यहां आम दिनों की तरह Blasting भी हुई थी, हालांकि भूस्खलन बाद दोपहर हुआ बताया जा रहा है कि ब्लास्टिंग के कारण पहाड़ पूरी तरह से दरक गया था दोपहर बाद जब मुल्तान सिंह यहां पहुंचा तो पहाड़ अपना ही वज़न नहीं सम्भाल पाया और पूरा का पूरा मुल्तान सिंह पर आ गिरा।
वही नाम न छापने के शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि Police Station संगड़ाह के अंतर्गत लापरवाही से हुए इस हादसे में मृतक का शव Postmortem के लिए खनन व्यवसाई की गाड़ी मे ददाहू Hospital ले जाय जाने पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। Mining Engineer की मानें तो बताया गया कि संगड़ाह Sangrah में पोस्टमार्टम नहीं हो रहे हैं इसलिए अपने वाहन से ददाहू ले गए। उन्होंने कहा कि, मृतक उनकी Mine पर काम नहीं करता था और वह संभवत घास काटने या अपने काम से यहां आया था।
उधर स्वास्थ्य विभाग संगडाह के अधिकारियों का कहना है कि, यहां Police द्वारा पोस्टमार्टम के लिए सम्पर्क नहीं किया गया। DSP संगड़ाह मुकेश डडवाल ने कहा कि, Case की तहकीकात जारी है।
गौरतलब है कि संगडाह क्षेत्र में वर्तमान में बिना Mining Inspector व चेक पोस्ट के करीब 782 बीघा भूमि पर चल रही 5 चूना खदानों पर इससे पहले भी जानलेवा हादसे हो चुके हैं। वहीं अब तक की जानकारी के अनुसार अधिकतर ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार की ओर से लिखित में शिकायत नहीं करने और समझौते नामे पर साइन करवा कर मामले को रफा-दफा करवा दिया जाता है।