माजरा तहसील में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के नाम पर चल रहा बड़ा कारोबार

 

पांवटा साहिब के माजरा तहसील में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के नाम पर भूमि खरीद फरोख्त का बड़ा कारोबार चल रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश की जमीन पर बाहरी राज्यों के भू-माफिया के पैर मजबूत हो रहे हैं।

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पांवटा साहिब इस वक्त भू माफिया के निशाने पर क्योंकि पांवटा सहिब एक ऐसा क्षेत्र है जो देहरादून, हरिद्वार चंडीगढ़ और नेशनल हाईवे से घिरा है जिसके कारण यहां की लोकेशन और जमीनों के रेट बेहद हाई हो चले हैं। वहीं दूसरी और हरियाणा पंजाब दिल्ली के बड़े भू माफिया की नजर पांवटा साहिब की बेसकीमती जमीनों पर टिकी हुई है। ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश की जमीनों को जीपीए के माध्यम से खरीद-फरोख्त धंधा चल रहा है। यहां के कमजोर जमीन मालिकों से जीपीए के माध्यम से जमीन लेकर उन पर 2 बीएचके 3 बीएचके फ्लैट बनाकर बेचे जा रहे हैं और उनकी बाकायदा रजिस्ट्रियां भी करवाई जा रही है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है।

नाम न छापने की शर्त पर राजस्व विभाग के कर्मचारी और कईं वकीलों ने बताया कि पांवटा साहिब में जीपीए के नाम पर बड़ा जमीनी गोरख धंधा चला हुआ है सिर्फ इतना ही नहीं राजस्व विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी भी इस पूरे भू माफिया खेल में सम्मिलित हैं। बताया जा रहा है कि स्थानीय नेता भी अधिकारियों के साथ इस मिली भगत में शामिल है

बता दें की माजरा तहसील में इतनी अधिक जीपीए बन रही हैं कि रजिस्ट्री करवाने के लिए आ रहे लोगों को स्लाॅट तक नहीं मिल पा रहा है 15-15 दिनों तक है स्लॉट नहीं मिल पाता है वही जब कुछ वकील और लोगों ने इस बारे में अधिकारियों से पूछा तो बताया गया कि पहले से ही GPA के लिए स्लॉट बुक है । यह स्लॉट जीपीए के लिए अधिकारियों के सांठ गांठ कर बुक किए जा रहे थे। इस सारे खेल में माजरा के कुछ वकील मोटी कमीशन का खेल खेल रहे हैं बताया जा रहा है कि इसमें अधिकारियों को भी लाखों रुपए की कमीशन रोजाना पहुंचाई जा रही है पूर्व में तैनात कुछ अधिकारी भी करोड़ों रुपए कमा चुके हैं तथा चुनाव के बाद पोस्टिंग के लिए जोर लगा रहे हैं

वही जब इस बारे में एसडीएम गुंजित चीमा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दरअसल माजरा तहसील में वह जांच के लिए गए थे शिकायतें मिल रही थी कि जीपीए के कारण जमीनी रजिस्ट्री के स्लॉट बुक नहीं हो पा रहे थे। उन्होंने बताया कि वैसे जीपीए हिमाचल प्रदेश में प्रतिबंधित नहीं है लेकिन फिर भी इसके पीछे की मंशा को देखकर अधिकारियों को काम करना चाहिए उन्होंने कहा कि जांच उपरांत हाई अथॉरिटी को इस बारे में लिखा गया है।

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