पावटा साहिब : तहसील विवाद, पढ़े मलाईदार सीट का पूरा सच

पांवटा साहिब तहसील कार्यालय में तैनात कर्मचारी अनिल कुमार पर महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाने के बाद शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है वहीं आरोपी भी अपने आप को पाक साफ साबित करने की कोशिश कर रहा है तथा महिला पर मलाईदार सीट पर पोस्टिंग लेने के लिए झूठी शिकायत करने के आरोप लगा रहा है वहीं अधिकारियों ने अभी तक इस मामले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है तथा मामले में लीपा पोती की कोशिश की जा रही है क्योंकि आरोपी अपने आप को मंत्री का करीबी बताता है

वही असली कहानी शुरू होती है मलाईदार सीट से जोकि तहसील कार्यालय में आरसी के नाम से जानी जाती है यह सीट पूरे तहसील करले में सबसे महत्वपूर्ण सीट होती है रजिस्ट्रेशन क्लर्क का कार्य सभी ऑनलाइन रजिस्ट्री जीपीए व अन्य कार्य करना होता है अब यहीं से भ्रष्टाचार का असली खेल शुरू होता है जिसको मलाईदार सीट का नाम दिया जा रहा है यहां पर पैसों का लेनदेन होता है पहले रजिस्ट्री करने की फीस तक नहीं ली जाती है यदि रजिस्ट्री में कोई गलती या कमी हो तो उसको छुपाने के लिए भारी मोटी फीस वसूली जाती है इस सारे खेल में प्रॉपर्टी डीलर भी अहम भूमिका निभाते हैं

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पांवटा साहिब तहसील कार्यालय में तैनात कर्मचारी अनिल कुमार पर महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाने के बाद शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है वहीं आरोपी भी अपने आप को पाक साफ साबित करने की कोशिश कर रहा है तथा महिला पर मलाईदार सीट पर पोस्टिंग लेने के लिए झूठी शिकायत करने के आरोप लगा रहा है वहीं अधिकारियों ने अभी तक इस मामले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है तथा मामले में लीपा पोती की कोशिश की जा रही है क्योंकि आरोपी अपने आप को मंत्री का करीबी बताता है

वही असली कहानी शुरू होती है मलाईदार सीट से जोकि तहसील कार्यालय में आरसी के नाम से जानी जाती है यह सीट पूरे तहसील करले में सबसे महत्वपूर्ण सीट होती है रजिस्ट्रेशन क्लर्क का कार्य सभी ऑनलाइन रजिस्ट्री जीपीए व अन्य कार्य करना होता है अब यहीं से भ्रष्टाचार का असली खेल शुरू होता है जिसको मलाईदार सीट का नाम दिया जा रहा है यहां पर पैसों का लेनदेन होता है पहले रजिस्ट्री करने की फीस तक नहीं ली जाती है यदि रजिस्ट्री में कोई गलती या कमी हो तो उसको छुपाने के लिए भारी मोटी फीस वसूली जाती है

यही नहीं फीस जमा करने के लिए 500 का नोट दिया जाता है जबकि 100 200 300 रुपए फीस होने के बावजूद बकाया पैसे वापस नहीं लिए जाते वही मोटे गिफ्ट अलग मिलते हैं बताया जा रहा है की तहसील कार्यालय के चाय पानी में अन्य खर्चो को भी रजिस्ट्रेशन क्लर्क ही करता है पिछले कुछ समय में हरियाणा के लोगों की की गई जीपीए में भी एक जीपीए के ₹5000 की रिश्वत दिए जाने की चर्चा हुई थी जिसके बाद जिला सिरमौर के जिलाधीश ने भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद जिले में अन्य राज्यों की जीपीए बंद कर दी थी

यह सब सेटिंग वकीलों के द्वारा की जाती है आम आदमी को तो बस खर्च जोड़कर रजिस्ट्री खर्चा बता दिया जाता है की तहसील में इतना खर्चा होगा इस सब का बोझ आम आदमी पर पड़ता है क्योंकि गरीब आदमी आम आदमी एक-एक रुपया जोड़कर मकान जमीन खरीदता है तथा उसकी इसके लिए रिश्वत भी अलग से देनी पड़ती है वह भी जल्दी और सही काम करने की एवज में रोजाना 30 के करीब रजिस्ट्री पावटा साहिब तहसील में होती है इस हिसाब से महीने का लाखों रुपए में बनता है बस यही से सीट की लड़ाई शुरू हुई है जिसको मलाईदार सीट बोला जा रहा है यह तो जांच में ही स्पष्ट होगा कि महिला के लगाए आरोपों में कितनी सच्चाई है

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