तिरुपति बेनामी संपत्ति खरीद फरोख्त मामले में अब देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी आईबी की भी नजर है। इस्लामिक वेलफेयर सोसाइटी जमीन की अवैध तरीके से खरीद फरोख्त मामले में करोड़ों रुपए कहां इस्तेमाल हुए हैं इसकी भी जांच होगी ।
तिरुपति ग्रुप द्वारा खरीदी गई मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की जमीन का मामला देश की सुरक्षा से भी जुड़ता नजर आ रहा है। बता दे कि हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में मुस्लिम बच्चों की शिक्षा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 5.7 बीघा जमीन की अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त की गई। सूत्र बताते हैं कि इस जमीन के लिए तिरुपति ग्रुप और स्थानीय कांग्रेस नेता द्वारा तकरीबन 5 करोड रुपए मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी को दिए गए हालांकि कागज़ी तौर पर यह जमीन एक करोड़ 7 लाख रुपए की खरीदी गई। बाकी के करोड़ों रुपए नंबर दो के तौर पर दिए गए। लेकिन कथित 5 करोड़ रूपयों को समिति के खाते में जमा नहीं करवाया गया। अब खुफिया एजेंसी इन 5 करोड रुपए का क्या इस्तेमाल हुआ इस पर जांच कर सकती है । सूत्रों की माने तो देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी को संदेह है कि कहीं इस पैसे का इस्तेमाल देश के खिलाफ होने वाले षड्यंत्रों में तो नहीं हुआ है।
उधर एक महीने बाद भी तहसील कार्यालय पांवटा साहिब द्वारा जांच पूरी नहीं की गई है अब तक इस पूरे मामले में संलिप्प्ट लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि तिरुपति ग्रुप और कांग्रेसी नेता अपने पैसे और पहुंच का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं । इससे पहले भी स्थानीय कांग्रेस नेता की विदित फर्म में भी संदिग्ध भूमिका सामने आई थी विदित फार्मा मामले में भी स्थानीय तहसीलदार संपत्ति की जांच कर एनसीबी को अपनी रिपोर्ट भेज रहे हैं
बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुक्खू के कार्यालय से भी जांच डीसी सिरमौर को पहुंची है। इस पूरे मामले में मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की जमीन को अधिकारियों की मिली भगत के साथ तिरुपति ग्रुप ने अवैध तरीके से खरीदा सूत्र बता रहे हैं कि तिरुपति ग्रुप ने एक नेता के नाम से इस जमीन की खरीद फरोख्त की है।
इतना ही नहीं इस वक्त तिरुपति ग्रुप द्वारा इस जमीन का औद्योगिक कमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि 118 परमिशन के बिना औद्योगिक इस्तेमाल सीधे-सीधे हिमाचल प्रदेश कानून का उल्लंघन है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि बेनामी संपत्ति, मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की जमीन खरीदने और 118 की परमिशन के बिना औद्योगिक इस्तेमाल सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन है। उपरोक्त सभी धाराओं के तहत सन्लिप्त तिरुपति ग्रुप, नेता और वैलफेयर सोसाइटी के संलिप्त लोगों पर FIR दर्ज होनी चाहिए।