हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बद्दी-नालागढ़ सड़क मार्ग पर रत्ता नदी में काली राख गिरा कर प्रदूषण फैलाने वाले दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करने पर एसपी बद्दी को तलब किया है। कोर्ट ने एसपी बद्दी के शपथ पत्र पर अपनी असंतुष्टि जताई और कहा कि शपथ पत्र में यह नहीं बताया गया है कि दोषियों के खिलाफ क्यों त्वरित कार्रवाई नहीं की गई।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने 26 अक्तूबर को हिंदी दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर का उल्लेख करते हुए कहा कि जब खबर से यह स्पष्ट रूप से सत्यापित हो गया कि रत्ता नदी में काली राख फैंकने से प्रदूषण फैल रहा है और मौके पर जाकर इसकी विधिवत पुष्टि की जा सकती थी तो एसएचओ पुलिस स्टेशन बद्दी ने तुरंत कार्रवाई करने की बजाय औपचारिक शिकायत का इंतजार क्यों किया? कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अभियंता को भी आदेश दिए कि वह मौके पर जाएं और आरोपों की सत्यता की जांच करें तथा अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें।
उल्लेखनीय है कि इस मामले पर 12 नवम्बर को प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने बिजली बोर्ड को आदेश दिए थे कि वह अवैज्ञानिक तरीके से रत्ता नदी के जलग्रहण क्षेत्र में राख फैंकने वाली फर्म मैसर्स क्लैरिज मोल्डेड कंपनी लिमिटेड की बिजली का कनैक्शन काट दे। मैसर्स क्लैरिज मोल्डेड कंपनी लिमिटेड, यूनिट-1, सोलन जिले के गांव मलकुमाजरा तहसील नालागढ़ में स्थित है। बद्दी-बरोटीवाला में प्रदूषण से जुड़े मामले में कोर्ट ने यह आदेश जारी किए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड, एसपी बद्दी-बरोटीवाला, बीबीएनडी तथा मैसर्स क्लैरिज मोल्डेड कंपनी लिमिटेड, यूनिट-1 को याचिका में आवश्यक पक्षकार समझते हुए प्रतिवादी बनाया था।
कोर्ट ने यह देखते हुए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मैसर्स क्लैरिज मोल्डेड कंपनी लिमिटेड को अवैज्ञानिक तरीके से रत्ता नदी के जलग्रहण क्षेत्र में राख डालने का दोषी पाया था, इसलिए बिजली बोर्ड को इस कंपनी का बिजली कनैक्शन काटने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने एसपी बद्दी-बरोटीवाला को निर्देश दिया था कि वे कारण बताएं कि जब कंपनी द्वारा फैलाया गया प्रदूषण स्पष्ट है तो उक्त फर्म के खिलाफ मामले में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई।