हिमाचल ने जीएसटी के अंतर्गत मादक पदार्थों की ट्रैकिंग के लिए अलग ई-वे बिल की मांग की

मादक दवाओं के कारोबार में शामिल दवा इकाइयों की निगरानी के लिए एसडीएम के नेतृत्व में की जा रही समिति गठित

Khabron wala 

नशीले पदार्थों के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने और दवा कंपनियों से मादक पदार्थों के दूसरे स्रोतों में जाने को रोकने के लिए, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सख्त निगरानी, विनियमन और प्रवर्तन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई कड़े कदम उठाए हैं।

प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज आज जानकारी दी है कि मादक पदार्थों के निरूपण का कारोबार करने वाली लाइसेंस प्राप्त दवा कंपनियों के संचालन की निगरानी के लिए उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जा रहा है। इस समिति में आबकारी विभाग, पुलिस और औषधि नियंत्रण प्राधिकरण के अधिकारी शामिल होंगे और इसे नियामक मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने और मादक पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने का काम सौंपा जाएगा।

ट्रेसेबिलिटी को और बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार ने जीएसटी परिषद से औपचारिक रूप से संपर्क किया है और विशेष रूप से मादक दवाओं और मनोप्रभावी पदार्थों के लिए एक समर्पित ई-वे बिल व्यवस्था शुरू करने की मांग की है। इस कदम से आपूर्ति श्रृंखला में उनकी आवाजाही के वास्तविक समय पर निगरानी संभव हो सकेगी, जिससे हर स्तर पर नियंत्रण कड़ा होेगा। इसके अलावा, राज्य कर एवं उत्पाद शुल्क विभाग ने लाइसेंस धारकों द्वारा मादक दवाओं के संचालन पर मात्रा संबंधी प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस उपाय का उद्देश्य अतिरिक्त स्टॉक के अवैध उपयोग के जोखिम को कम करना है।

प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार वर्तमान में मादक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) नियम, 1989 में संशोधन कर रही है और एकीकृत मादक द्रव्य निवारण नीति को अद्यतन कर रही है। इसका उद्देश्य राज्य में मादक द्रव्य नियंत्रण के लिए समग्र कानूनी और प्रशासनिक ढाँचे को मजबूत करना है। जमीनी स्तर पर प्रवर्तन और जन जागरूकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, सरकार ने संबंधित जिला अधिकारियों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समितियों का भी गठन किया है। ये समितियाँ कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करेंगी, अंतर-विभागीय समन्वय को सुगम बनाएंगी और विशेष रूप से युवाओं को लक्षित करते हुए जागरूकता अभियान चलाएंगी।

मुख्यमंत्री का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ कानूनों, नियमों और कानूनों की नहीं है, बल्कि जिंदगी बचाने और हमारी आने वाली पीढ़ियों की रक्षा की है। मेरी सरकार निर्णायक और बिना किसी समझौते के काम करेगी। राज्य की जनता के सहयोग से हम सब मिलकर नशे की गिरफ्त से मुक्त हिमाचल का निर्माण करेंगे।

 

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