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हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) बिलासपुर में एमबीबीएस बैच-2025 की पहली काउंसलिंग के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. एक महिला अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के सहारे दाखिला लेने एम्स पहुंची थी. लेकिन, वह अपने मंसूबे में कामयाब हो पाती, इससे पहले ही उसकी पोल खुल गई. दस्तावेजों की जांच के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि आनन-फानन में पुलिस बुलानी पड़ी।
MBBS काउंसलिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा
महिला अभ्यर्थी बिहार के लखीसराय की रहने वाली है जो काउंसलिंग के लिए बिलासपुर एम्स पहुंची थी. जहां एमबीबीएस की पहली काउंसलिंग में दस्तावेजों की जांच के दौरान उसका फर्जीवाड़ा सामने आ गया. एम्स प्रबंधन का कहना है कि, शुरुआत में जब काउंसलिंग कमेटी ने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) की ओर से जारी 100 चयनित अभ्यर्थियों की सूची में उसका नाम खंगाला, तो वह लिस्ट में कहीं भी दर्ज नहीं था. जब समिति ने अभ्यर्थी से उसकी रैंक का प्रमाण मांगा, तो उसने लॉगिन आईडी तो बताई लेकिन पासवर्ड काम नहीं करने का बहाना बनाकर टालमटोल करने लगी.
फर्जी स्कोर कार्ड दिखाया
जब युवती से स्कोर कार्ड मांगा गया तो उसने एक धुंधला सा स्कोर कार्ड दिखा दिया, जिसमें कुछ भी नजर नहीं आ रहा था. इसके अलावा उसने मोबाइल फोन से खींचे गए एक स्क्रीनशॉट में रैंक लेटर दिखाया, जिसमें 590 अंक और 84 पर्सेंटाइल अंकित थे. संदेह बढ़ने पर मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने नीट यूजी 2025 की आधिकारिक वेबसाइट और MCC पोर्टल से उसकी डिटेल्स खंगाली. जब समिति ने अन्य दस्तावेजों और डेटा से तुलना की तो गड़बड़ी का खुलासा हो गया.
30 अंक और 20 लाख की रैंक
शक गहराने पर जब उसका वास्तविक स्कोर कार्ड नीट की आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किया गया तब पता चला कि युवती के केवल 30 अंक ही हैं और 20 लाख के आसपास रैंक है. इस खुलासे के बाद काउंसलिंग समिति ने फौरन एम्स प्रशासन को सूचित किया और प्रशासन ने पूरी जानकारी लिखित रूप में पुलिस को सौंप दी.
फर्जीवाड़ा सामने आते ही जांच में जुटी पुलिस
30 अंक और 20 लाख की रैंक लेकर देश के सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों में से एक बिलासपुर एम्स में काउंसलिंग के लिए पहुंची इस अभ्यर्थी का कारनामा देखकर समिति और एम्स प्रशासन हक्का-बक्का रह गया और इस मामले की जानकारी तुरंत पुलिस को दी गई.
रजिस्ट्रार राकेश कुमार ने कहा है कि, “काउंसलिंग में अभ्यर्थी द्वारा फर्जीवाड़े का मामला ध्यान में आते ही बिलासपुर सदर थाना पुलिस को शिकायत दी गई. पुलिस को इस मामले पर जांच करने के लिए कहा गया है. गहनता से जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि ये किस गिरोह से जुड़े हुए हैं. इसके पीछे और किसका हाथ है. फिलहाल आरोपी अभ्यर्थी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है. पुलिस आरोपी युवती से पूछताछ जुटी है.”
चली थी डॉक्टर बनने, पहुंच गई थाने
बिलासपुर सदर थाना पुलिस ने आरोपी महिला से पूछताछ शुरू कर दी है. प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी युवती ने स्वीकार किया है कि उसने स्कोर कार्ड और प्रोविजनल अलॉटमेंट लेटर में हेराफेरी की थी, ताकि वह धोखे से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्राप्त पा सके. युवती के बयान के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया है. आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है.
“एम्स प्रशासन की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए गहन जांच की जा रही है. इस मामले में अन्य संभावित सहयोगियों या गिरोह की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है, जो अभ्यर्थियों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए दाखिला दिलाने में मदद करते हैं. एम्स प्रशासन ने जिस सतर्कता से दस्तावेजों की जांच की, वह काबिले-तारीफ है. यदि यह फर्जीवाड़ा समय रहते न पकड़ा जाता, तो न केवल एक अपात्र अभ्यर्थी को सीट मिल जाती बल्कि अन्य योग्य विद्यार्थियों के भविष्य के साथ भी अन्याय होता. यह मामला देशभर के शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी है कि काउंसलिंग प्रक्रिया में दस्तावेजों की सत्यता की जांच में किसी तरह की कोई ढील न बरती जाए.” – शिव चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर