Khabron wala
मेहनत, संघर्ष और लगन जब एक साथ हों तो बड़े से बड़ा सपना भी साकार हो जाता है। इसका जीता-जागता उदाहरण हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला की रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के दुर्गम गांव खालाक्यार ने पेश किया है।
तीनों भाई-बहनों का एक ही सपना
इस गांव के एक ही परिवार की दो बेटियां और एक बेटा लगातार तीन वर्षों में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) पास कर मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश पा चुके हैं। यह अपने आप में दुर्लभ उपलब्धि है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर की इस कठिन परीक्षा को पार करना आसान नहीं होता।
बड़ी बहन से शुरू हुई कामयाबी की राह
परिवार की सबसे बड़ी बेटी शगुन चौहान ने सबसे पहले अपनी मेहनत से मेडिकल की राह बनाई। वह इस समय टांडा मेडिकल कॉलेज, कांगड़ा से एमबीबीएस तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। उनकी इस सफलता ने गांव और परिवार को गर्व से भर दिया।
दूसरी बेटी मुस्कान भी बनी डॉक्टर
शगुन की राह पर चलकर उनकी छोटी बहन मुस्कान चौहान ने भी NEET पास कर लिया। मुस्कान भी वर्तमान में टांडा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। परिवार की लगातार दूसरी संतान के मेडिकल क्षेत्र में आने से इस उपलब्धि की चर्चा और बढ़ गई।
अब छोटे भाई अंकिल ने रचा इतिहास
हाल ही में परिवार के सबसे छोटे बेटे अंकिल चौहान ने भी NEET में शानदार प्रदर्शन कर सफलता हासिल की है। अंकिल को सरकारी मेडिकल कॉलेज चंबा में दाखिला मिला है। इस तरह एक ही परिवार की तीनों संतानों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा हो गया।
माता-पिता की मेहनत और मार्गदर्शन
इस सफलता के पीछे बच्चों के माता-पिता का त्याग और मेहनत झलकती है। पिता जोगिंदर सिंह चौहान वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार में डिप्टी कंट्रोलर (वित्त एवं लेखा) के पद पर कार्यरत हैं। वे इस समय शिमला स्थित प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट कार्यालय में सेवाएं दे रहे हैं।
गरीबी में काटे पिता ने दिन
गरीब परिवार से निकलकर जोगिंदर सिंह ने संघर्ष की कठिन राह तय की। वर्ष 1998 में पंचायत सचिव के रूप में करियर शुरू किया और लगभग 14 वर्ष तक उसी पद पर कार्य किया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश वित्त एवं लेखा सेवा परीक्षा पास कर 2012 में अनुभाग अधिकारी बने।
हर कठिन परिस्थिति में दिया साथ
2013 में शिक्षा विभाग और 2017 से 2025 तक सहायक नियंत्रक वित्त एवं लेखा के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने अपनी लगन और ईमानदारी से खुद को साबित किया। हाल ही में उन्हें पदोन्नति मिलकर डिप्टी कंट्रोलर बनाया गया है। जोगिंदर सिह की पत्नी तारा देवी नाहन में शिक्षिका हैं। बच्चों ने कहा कि उनके माता-पिता ने हर कठिन परिस्थिति में उनका साथ दिया, पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और कभी भी हिम्मत नहीं टूटने दी।
युवाओं के लिए बने प्रेरणा
गांव खालाक्यार की यह उपलब्धि अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुकी है। स्थानीय लोग कहते हैं कि दुर्गम क्षेत्र से निकलकर यह परिवार साबित कर रहा है कि सच्ची मेहनत, लगन और संघर्ष से कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता। यह कामयाबी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।