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हिमाचल मानसून सीजन में हो लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है. प्रदेश में बरसात में अब तक 320 लोगों की जान चली गई है. वहीं, सरकारी और निजी संपत्ति को 3056 करोड़ का नुकसान हो चुका है. अभी प्रदेश में भारी बारिश का दौर जारी है. मौसम विभाग ने प्रदेश के कई जिलों में 2 सितंबर तक भारी से अत्यधिक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है. इसको देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में आपदा प्रभावित राज्य घोषित किया किया है, जिसकी घोषणा सीएम ने हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र के 11वें दिन सदन में की. इसके बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने भी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू करने को लेकर आदेश जारी कर दिए हैं.
2 सितंबर को कई जिलों में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट
वहीं, इस दौरान चंबा जिले में चल रही श्री मणिमहेश यात्रा के कारण सड़क संपर्क बाधित होने से कई यात्री यात्रा मार्ग और चंबा और भरमौर के बीच फंस गए. उन्होंने बताया कि राज्य में 30 अगस्त से भारी वर्षा का दौर जारी है और 2 सितंबर तक जारी रहने की संभावना है. इस कारण समस्या और भी गंभीर होने से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है. भारी बारिश को लेकर जारी रेड अलर्ट के बाद प्रदेश के अधिकांश जिलों में शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं.
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश
मुख्य सचिव ने भारी बारिश का हवाला देते हुए कहा है कि, “राज्य में मानसून 19 जून से सक्रिय है और तब से लगातार बारिश हो रही है. प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर मूसलाधार बारिश से भारी नुकसान हुआ है. 20 जून को धर्मशाला और कुल्लू में, 30 जून और 1 जुलाई को मंडी जिले के विभिन्न हिस्सों में में भारी से अत्यधिक भारी बारिश दर्ज की गई. इसी तरह से 5 व 6 अगस्त, 13 व 14 अगस्त को पूरे राज्य में भारी बारिश हुई. इसके बाद 24 से 26 अगस्त को चंबा, कुल्लू और लाहौल एवं स्पीति जिलों में भारी बारिश ने तबाही मचाई है.”
बादल फटने की 45 घटनाएं
मुख्य सचिव ने बताया कि, प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से 45 बादल फटने, 91 अचानक भूस्खलन और 105 बड़े भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं. इनमें 161 लोगों की जान चली गई है और 40 लापता हैं. इस दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 154 लोगों की मौत हुई है. 845 घर पूरी तरह से और 3254 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. अब तक कुल 3056 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. अभी भी बहुत अधिक नुकसान का आकलन और रिपोर्ट किया जाना बाकी है. यह राष्ट्रीय राजमार्गों को हुए नुकसान को नहीं दर्शाता है. मनाली, लाहौल और स्पीति और चंबा-भमौर तक राष्ट्रीय राजमार्गों का सड़क संपर्क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है.
चंबा और मणिमहेश में कई यात्री अभी भी फंसे हुए हैं. वहीं, हजारों लोगों को पहले ही बचा लिया गया है. इसी तरह से 780 से ज्यादा सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं. 360 जलापूर्ति योजनाएं अभी बाधित हैं और 2274 डीटीआर बंद हैं. कई मोटर और पैदल पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. इससे वाहनों, राशन, सेब और सब्जियों जैसी स्थानीय उपज की आवाजाही बाधित हुई है. इस व्यापक व्यवधान के कारण, पूरा राज्य आपदा से बुरी तरह प्रभावित है. उन्होंने बताया कि जिला और राज्य प्राधिकरण क्षतिग्रस्त और बाधित सेवाओं को बहाल करने और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने में जुटा है.
सोमवार, 1 सितंबर को हिमाचल को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया गया है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए और प्रदेश के लोगों और हिमाचल प्रदेश आने वाले लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2025 के तहत गठित राज्य कार्यकारी समिति के मुख्य सचिव सह अध्यक्ष के रूप में, अधिनियम की धारा 24 की उपधारा (ई) के तहत मुख्य सचिव ने डिजास्टर एक्ट लागू करने के आदेश जारी किए हैं. इसके तहत सभी डीसी को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 34 में मिली शक्तियों का प्रयोग करने को कहा गया है.