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देवभूमि कहे जाने हिमाचल प्रदेश में आए दिन छोटे बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। इस कड़ी में ताजा मामला प्रदेश के जिला कांगड़ा से सामने आया है जहां, देहरागोपीपुर स्थित निर्माणाधीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी परिसर से एक 9 वर्षीय बच्चा रहस्यमयी ढंग से लापता हो गया है।
ढाई हजार मजदूरों ने चलाया तलाशी अभियान
मिली जानकारी के अनुसार, देहरागोपीपुर में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे एक दंपत्ति का यह बेटा बीते बुधवार दोपहर से लापता है और 48 घंटे से अधिक बीत जाने के बाद भी उसका कोई पता नहीं चल सका है। घटना की जानकारी मिलते ही परिसर में काम करने वाले करीब ढाई हजार मजदूरों ने अपनी ओर से तलाश अभियान चलाया।
मजदूरों ने आसपास के नालों, गड्ढों और जंगलों तक की खाक छान डाली, लेकिन बच्चे का कोई सुराग नहीं मिला। स्थानीय लोगों का अनुमान है कि अमिश अपने कुछ दोस्तों के साथ नाले में नहाने गया था। साथ गया बच्चा तो लौट आया, लेकिन अमिश अब तक लापता है।
अबतक नहीं मिला कोई सुराग
घटना की सूचना पुलिस को दी गई और सूचना मिलते ही बीते कल गुरुवार देर शाम पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। बच्चे की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं और हर संभावना को खंगाला जा रहा है। हालांकि, दो दिन गुजर जाने के बावजूद न तो बच्चा मिला और न ही किसी ठोस जानकारी का खुलासा हो पाया।
मजदूरों का कहना है कि यूनिवर्सिटी परिसर से बाहर निकलने के लिए केवल मेन गेट या फिर जंगल का रास्ता है, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सुरक्षित माने जाने वाले इस क्षेत्र से एक बच्चा आखिर कैसे और कहां गायब हो गया। यह घटना न केवल प्रशासन बल्कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
दोपहर का भोजन कर गया था खेलने
लापता बच्चे की पहचान अमिश पुत्र परिषम कुमार और नीलम देवी के रूप में हुई है। जो मूलतः बिहार के रहने वाले हैं और देहरागोपीपुर स्थित निर्माणाधीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी परिसर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं।
परिषम ने बताया कि बुधवार को ड्यूटी पूरी कर जब वह शाम पांच बजे क्वार्टर लौटे, तो उनका बेटा अमिश वहां मौजूद नहीं था। मां नीलम देवी के अनुसार, बेटे ने दोपहर का भोजन किया और खेलने के लिए बाहर गया था, लेकिन फिर घर वापस नहीं आया।