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हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग के डीजीपी का पद का सरकार ने अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। डीजीपी के पद पर पिछले तीन महीने से स्थायी नियुक्ति नहीं हो पाई है। हालांकि आईपीएस अधिकारी डीजीपी श्याम भगत नेगी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौट आए हैं, लेकिन अभी तक उनको नियुक्ति नहीं दी गई है। प्रदेश के पूर्व डीजीपी अतुल वर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद से डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। गौर हो कि इससे पहले प्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी करते हुए पूर्व डीजीपी अतुल वर्मा को डीजीपी बनाया था। अब देखना होगा कि प्रदेश सरकार डीजीपी नियुक्ति के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को तवज्जो देती है या फिर उनकी अनदेखी होगी। उधर, चर्चाओं का माहौल गर्म है कि प्रदेश सरकार आईपीएस अधिकारी श्याम भगत नेगी को भी डीजीपी के पद पर तैनाती दे सकती है। पूर्व डीजीपी अतुल वर्मा 31 मई को सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने डीजीपी अशोक तिवारी को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है।
श्याम भगत नेगी 1990 बैच के हिमाचल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और आठ माह बाद यानी 31 मार्च, 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। वहीं, 1988 बैच के तपन कुमार डेका भी सेंटर में डेपुटेशन पर हैं। बीते साल रिटायर हुए डेका को 30 जून, 2025 तक की एक्सटेंशन मिली हुई है। इसके बाद हिमाचल विजिलेंस के महानिदेशक एवं 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक तिवारी हैं। अशोक तिवारी से सीनियर श्याम भगत नेगी, अनुराग गर्ग अभी सेंटर डेपुटेशन पर हैं। सीनियोरिटी में अनुराग गर्ग के बाद ही अशोक तिवारी का नंबर आता है। इसलिए सरकार अगर डीजीपी के लिए तीन-चार अधिकारियों का पैनल तैयार करती है, तो 1993 बैच के ही रित्विक रुद्रा और 1994 बैच के राकेश अग्रवाल का नाम भी आएगा, लेकिन ये दोनों अधिकारी अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।