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हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला से एक दिल को दहला देने वाला मामला सामने आया है। जिसने पूरे इलाके को ग़मगीन कर दिया। जिला ऊना के मैहतपुर बसदेहड़ा क्षेत्र में शुक्रवार दोपहर एक मां ने रोज़ की तरह घर के कपड़े उतारने की कोशिश की, लेकिन किसे पता था कि यह उसका आख़िरी दिन होगा। करंट की चपेट में आने से 28 वर्षीय राधिका की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसे बचाने की कोशिश में उसकी बड़ी बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई।
कहां का है यह मामला
यह हृदय विदारक हादसा मैहतपुर बसदेहड़ा वार्ड नंबर 4 में पेश आया। राधिका पत्नी दीपक कुमार, दो बेटियों की मां थीं। शुक्रवार दोपहर वह छत पर सूख रहे कपड़े उतार रही थीं। बताया जा रहा है कि कपड़े लोहे की तार पर सूख रहे थे, और उसी दौरान तार में करंट दौड़ गया। राधिका को कुछ समझ पाती, उससे पहले ही बिजली की तेज़ धार ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया।
इसी बीच स्कूल से लौटी राधिका की बड़ी बेटी ने जैसे ही मां को तार से लटका देखा, वह बदहवासी में मां को बचाने दौड़ी। मगर बचपन की मासूम ममता को यह नहीं पता था कि वह किस खतरे से जूझ रही है। बेटी भी करंट की चपेट में आ गई और गंभीर रूप से झुलस गई। तभी राधिका की छोटी बेटी वहां पहुंची और उसने जब यह खौफनाक दृश्य देखा तो चीखने लगी। उसकी मासूम चीखें सुनकर आसपास के लोग दौड़े और तुरंत मां.बेटी को अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने राधिका को मृत घोषित कर दिया, जबकि घायल बेटी का उपचार अस्पताल में जारी है।
घटना के बाद पूरा मोहल्ला शोक में डूब गया। एक हंसता.खेलता घर चंद पलों में मातम में बदल गया। राधिका की असमय मृत्यु ने न सिर्फ उसके पति दीपक कुमार को जीवनभर का दुःख दे दियाए बल्कि दो मासूम बच्चियों को भी मां की ममता से वंचित कर दिया।
पुलिस ने शुरू की जांच
घटना की सूचना मिलते ही मैहतपुर पुलिस मौके पर पहुंची। एएसपी ऊना संजीव भाटिया ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह मामला लापरवाही से जुड़ा प्रतीत हो रहा हैए जहां खुले में करंट प्रवाहित तारों की मौजूदगी ने एक जीवन लील लिया।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि कई बार बिजली विभाग को खुले तारों के बारे में सूचित किया गयाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। राधिका की मौत ने इस लापरवाही को एक दर्दनाक मोड़ दे दिया है। राधिका अब इस दुनिया में नहीं, लेकिन उसकी मासूम बेटियों की आंखों में अब भी मां के लिए इंतजार है। उन्हें नहीं मालूम कि ममता की वो छांव अब कभी लौटकर नहीं आएगी। यह हादसा सिर्फ एक घर की नहीं, पूरे समाज की चेतावनी है कि ज़रा सी असावधानी कितना बड़ा जीवन संकट बन सकती है।