एसटी दर्जे के मानकों पर हाटी खरे नहीं: गुर्जर पक्ष की दलील

Khabron wala 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने संबंधी अधिसूचना पर अगली सुनवाई 11 सितंबर तय की है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। गुरुवार को हुई पिछली सुनवाई में गुर्जर समुदाय ने एसटी दर्जे के विरोध में अपना पक्ष रखा।

गुर्जर समुदाय का विरोध

गुर्जर समाज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत में तर्क दिया कि हाटी एक क्षेत्रीय नाम है न कि जातीय। उन्होंने कहा कि एसटी दर्जा देते समय क्षेत्र की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। गुर्जर समुदाय का दावा है कि यहां इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

मापदंडों पर खरा न उतरने का आरोप

अधिवक्ता ने कहा कि हाटी समुदाय का रहन-सहन और जीवन यापन प्रदेश के अन्य जिलों के लोगों के समान ही है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश जनजातीय प्रशिक्षण अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एसटी दर्जा देते समय पुराने डाटा को ध्यान में रखना चाहिए। केंद्र सरकार ने यह प्रक्रिया नहीं अपनाई।

गुर्जर समुदाय का तर्क है कि हाटी समुदाय को एसटी दर्जा देना प्रस्तावित मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। एसटी दर्जे के लिए शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन सहित कई मानक हैं। केंद्र सरकार ने इन मानकों की अनदेखी की है। मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।

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