शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल का स्वर्णिम युग प्रदेश सरकार हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया करवाने के लिए प्रतिबद्ध

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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। हर क्षेत्र में सार्थक दृष्टिकोण के साथ नवीन पहल की जा रही है। प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह पहल सरकारी संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चत करते हुए उन्हें भविष्य की प्रतिस्पर्धाओं और चुनौतियों के लिए तैयार करेगी। सरकारी विद्यालयों में सीबीएसई पाठ्यक्रम का निर्णय मुख्यमंत्री ने गहन चिंतन और विशेषज्ञों से हर पहलू पर गंभीरता से विचार-विमर्श कर विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया है। यह क़दम हिमाचल प्रदेश के प्रगतिशील भविष्य की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

वर्तमान प्रदेश सरकार हिमाचल के प्रत्येक बच्चे को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ नवीन योजनाएं लागू कर रही है और इनके सफल कार्यान्वयन के लिए पूर्णतः समर्पित है। इस वित्त वर्ष शिक्षा क्षेत्र के लिए 9 हज़ार 849 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जो प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री ने चुनावी गारंटी के अनुरूप सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम की शुरुआत की है, जिसके फलस्वरूप आज इन कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी आत्मविश्वास और कुशलता से अपने विचारों और भावनाओं को प्रकट करने में काबिल बन रहे हैं।

वर्तमान प्रदेश सरकार मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों को सशक्त करते हुए इन्हें आधुनिक सुविधाओं और पर्याप्त मानव संसाधनों से युक्त कर रही है। इसी उद्देश्य से इनका युक्तिकरण भी किया गया है। इन कड़े लेकिन बेहद आवश्यक निर्णयों का प्रतिफल है कि आज हिमाचल विद्यार्थी-अध्यापक अनुपात में देशभर में अग्रणी बनकर उभरा है और शिक्षा व्यवस्था में आशातीत सुधार देखने को मिल रहा है।

आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को हर बच्चे तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी राजकीय आदर्श डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, खेल सुविधाएं और अन्य आधुनिक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो।

प्रदेश सरकार द्वारा 500 प्राथमिक स्कूल, 100 उच्च विद्यालय, 200 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, 48 महाविद्यालयों और 2 संस्कृत महाविद्यालयों सहित कुल 850 शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान घोषित किया गया है। इन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक, बेहतर भवन, प्रयोगशालाएं और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

प्रदेश के बच्चों के उच्च शिक्षा के सपने को साकार करने के लिए डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना आरम्भ की गई है। इसके तहत विद्यार्थी देश व विदेश में पढ़ाई के लिए एक प्रतिशत ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदेश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साईंस जैसे आधुनिक विषय शुरू कर बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा रहा है।

सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 5 हज़ार 400 से अधिक पद और शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 7 हज़ार से अधिक पद भरे गए हैं। पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए, अध्यापकों को शैक्षणिक सत्र के बीच सेवानिवृत्त नहीं करने का भी निर्णय लिया है।

राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में बेहतर समन्वय और संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए शिक्षा निदेशालयों का पुनर्गठन किया है। इसके अंतर्गत स्कूल शिक्षा निदेशालय को अलग कर दिया गया है, जो माध्यमिक स्तर की शिक्षा के सभी मामलों को देखेगा। इसी प्रकार, उच्च शिक्षा निदेशालय केवल उच्च शिक्षा से जुड़े मामलों को देखेगा।

एक अन्य ऐतिहासिक पहल के तहत, पहली बार छात्रों को शैक्षणिक भ्रमण और अध्यापकों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर अध्ययन करने के लिए विदेश एवं देश के विभिन्न स्थानों में भेजा जा रहा है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 334 अध्यापकों और 50 छात्रों को सिंगापुर भेजा गया। इसके अलावा 310 छात्रों तथा 32 अध्यापकों को शैक्षणिक भ्रमण पर केरल भेजा गया।

शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की पोषण आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल पोषाहार योजना के तहत लगभग 15,000 स्कूलों में 5.35 लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए पूर्ण साक्षर राज्य होने का गौरव प्राप्त किया है। राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश ने 99.30 प्रतिशत साक्षरता दर हासिल की है। यह हिमाचल के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि हिमाचल ने पूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को भारत सरकार द्वारा राज्यों के लिए वर्ष 2030 की तय समय-सीमा से काफी पहले हासिल कर लिया है।

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश ने 5वां स्थान हासिल किया है जबकि वर्ष 2021 में हिमाचल 21वें पायदान पर था। असर रिपोर्ट-2025 में हिमाचल के बच्चों की पढ़ने की क्षमता पूरे देश में बेहतर आंकी गई है। वर्तमान में शिक्षा के अधिकतर मानकों पर हिमाचल प्रदेश, देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में शुमार है।

आगामी सत्र से, सरकार कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को हिमाचल के स्थानीय संदर्भों के साथ प्रासंगिक बनाने पर भी विचार कर रही है। इसके तहत, किताबों में राज्य के प्राचीन मंदिरों, मठों, किलों, विरासत स्थलों, पारंपरिक वास्तुकला, बोलियों, लोक कलाओं, हस्तशिल्प, मेलों, त्योहारों और ऐतिहासिक आंदोलनों की जानकारी शामिल होगी। जनरल जोरावर सिंह, वज़ीर राम सिंह पठानिया, डॉ. वाई.एस. परमार जैसे स्वतंत्रता सेनानियों और कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सोमनाथ शर्मा और कैप्टन सौरभ कालिया जैसे शहीदों को समर्पित अध्याय भी स्कूली पाठ्यपुस्तकों में अध्ययन के लिए शामिल किए जाएंगे।

प्रदेश की उपलब्धियां राज्य सरकार द्वारा लिए गए विभिन्न ऐतिहासिक निर्णयों के प्रतिफल हैं। प्रदेश सरकार के यह महत्त्वाकांक्षी प्रयास निश्चित रूप से हिमाचल को देश भर में शिक्षा का सिरमौर बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

 

 

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