Khabron wala
कुल्लू-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 21 दिनाें बाद अस्थायी रूप से यातायात बहाल हाे गया है। इसके चलते मनाली और ऊझी घाटी के निवासियों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है। बता दें कि 26 अगस्त को ब्यास नदी में आई विनाशकारी बाढ़ के कारण कुल्लू-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह तबाह हाे चुका था, जिसके चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। बाढ़ में हाईवे के बह जाने से यातायात को लैफ्ट बैंक की संकरी और वैकल्पिक सड़क पर मोड़ दिया गया था, लेकिन यह वैकल्पिक मार्ग राहत से ज्यादा मुसीबत का सबब बन गया। इस मार्ग पर आए दिन घंटों लंबा जाम लगता था, जिससे स्थानीय लोगों, मरीजों को ले जा रही एम्बुलैंस और सेब जैसी नकदी फसलों तथा जरूरी सामान ले जा रहे वाहनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
प्रशासन और एनएचएआई की कड़ी मशक्कत के बाद अब हाईवे पर एकतरफा आवाजाही शुरू की गई है। नई व्यवस्था के तहत कुल्लू से मनाली आने के लिए वाहन राइट बैंक पर मुरम्मत किए गए नए हाईवे का इस्तेमाल करेंगे। वहीं मनाली से कुल्लू जाने के लिए वाहनों को पहले की तरह लैफ्ट बैंक के वैकल्पिक मार्ग से ही भेजा जाएगा।
वहीं सड़क के दोबारा खुलने से स्थानीय किसानों और बागवानों में उम्मीद की एक नई लहर दौड़ गई है। अब वे अपनी सेब की फसल को समय पर मंडियों तक पहुंचा सकेंगे। हालांकि, पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं। होटल मालिकों, ट्रैवल एजैंटों और टैक्सी ऑप्रेटरों का कहना है कि यह केवल आधी राहत है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब तक इस सड़क को लग्जरी बसों जैसे भारी वाहनों के लिए पूरी तरह मजबूत और सुरक्षित नहीं बनाया जाता, तब तक पर्यटन उद्योग पर संकट के बादल मंडराते रहेंगे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी केंद्र सरकार से इस हाईवे को स्थायी रूप से मजबूत करने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की अपील की है।
यह कोई पहली बार नहीं है जब इस हाईवे को इतना नुक्सान पहुंचा है। इससे पहले 2023 में आई प्रलयकारी बारिश ने भी इस हाईवे को लगभग 13 जगहों से तहस-नहस कर दिया था। बार-बार होने वाली तबाही और उसके बाद की जाने वाली जल्दबाजी में की गई मुरम्मत एक स्थायी समाधान देने में विफल रही है। गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 2016 में रामशिला से मनाली तक राइट बैंक के किनारे इस 38 किलोमीटर के हिस्से को डबललेन बनाने का काम शुरू किया था, जो 2019 में पूरा हुआ था। इसके बाद ही ढोहलूनाला में टोल प्लाजा भी शुरू किया गया था।
इस लगातार हो रहे नुक्सान के पीछे सिर्फ प्रकृति का प्रकोप ही नहीं, बल्कि मानवीय चूक भी एक बड़ा कारण है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने खुद हिमालयी क्षेत्र में चल रही ढांचागत परियोजनाओं की प्लानिंग में गंभीर खामियों की आलोचना की है। उनके अनुसार कई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बिना जमीनी हकीकत, नदी के बहाव और पहाड़ों की संवेदनशीलता का ठीक से अध्ययन किए बना दी जाती हैं। इसी वजह से एक ही संवेदनशील जगह पर बार-बार सड़कें टूटती हैं। उन्होंने भविष्य में वैज्ञानिक तरीकों से निर्माण, ढलानों को मजबूत करने और आपदा-रोधी इंजीनियरिंग अपनाने पर जाेर दिया है।