हिमाचल में 3 दिन साफ रहेगा मौसम, 24 से सभी इलाकों में रह सकती है हलचल

Khabron wala 

राज्य से मानसून की विदाई का समय अब अनुकूल आ गया है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी 2 से 3 दिनों में प्रदेश के कई हिस्सों से मानसून अलविदा कर जाएगा, क्योंकि रविवार से आगामी 3 दिनों तक किसी भी प्रकार का कोई अलर्ट नहीं रहेगा, अपितु मौसम पूरी तरह से साफ व शुष्क बना रहेगा। हालांकि 24 मार्च को ऊंचे, मध्य व मैदानी इलाकों, जबकि 25 सितम्बर को मैदानी व मध्य, जबकि 26 सितम्बर को मध्य इलाकों में हल्की-फुल्की वर्षा हो सकती है। राज्य में शनिवार को अधिकांश जिलों में मौसम साफ बना रहा और हल्के बादलों के साथ धूप खिली, जिससे लोगों ने राहत पाई है।

सामान्य से 46 फीसदी अधिक बरसे मेघ

राज्य में इस बार मानसून 20 जून को पहुंचा था और सामान्य से लगभग 46 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। कई वर्षों बाद राज्य में इतनी व्यापक वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश से दक्षिण-पश्चिमी मानसून की सामान्य विदाई तिथि 25 सितम्बर है। पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो केवल 3 बार मॉनसून ने सितम्बर में ही विदाई ली, जबकि 7 बार इसकी वापसी अक्तूबर माह में हुई। बीते वर्ष 2024 में मानसून 2 अक्तूबर को, 2023 में 6 अक्तूबर को और 2022 में 3 अक्तूबर को विदा हुआ था। इसी तरह 2021 में 10 अक्तूबर, 2020 में 30 सितम्बर, 2019 में 11 अक्तूबर, 2018 में 1 अक्तूबर, 2017 में 30 सितम्बर, 2016 में 5 अक्तूबर और 2015 में 29 सितम्बर को मानसून की विदाई हुई थी।

तबाही का आया खूब दौर, भूस्खलन की हुईं 148 घटनाएं, 430 लोगों की हो चुकी है मौत

इस बार मानसून का दौर प्रदेश के लिए भारी तबाही लेकर आया। बीते 3 महीनों में लगातार बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड ने हिमाचल को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्य में भूस्खलन की 148, फ्लैश फ्लड की 98 व बादल फटने की 47 घटनाएं सामने आ चुकी हैं और राज्य में अब तक 430 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 487 लोग घायल हुए और 46 लोग लापता हैं। सबसे ज्यादा जानें मंडी जिले में गईं, जहां 66 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसके अलावा कांगड़ा में 57, चम्बा में 50 और शिमला में 48 लोगों की मौत हुई है। प्रदेश सरकार के प्रारंभिक आकलन के अनुसार अब तक का नुक्सान 4,762.98 करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है। राज्य में कुल्लू व ऊना में 2 एन.एच. और 373 संपर्क मार्ग अवरुद्ध चले हुए हैं। राज्य के अधिकांश हिस्सों से ब्लैकआऊट हट गया है और अब मात्र 43 ट्रांसफार्मर और 145 पेयजल योजनाएं ही बाधित हैं।

मानसून में ये हुई हैं बड़ी घटनाएं और आईं आपदाएं

मानसून की शुरूआत से ही आपदाओं का सिलसिला शुरू हो गया था। 25 जून को कांगड़ा और मंडी जिलों में आई बाढ़ से भारी तबाही मची। धर्मशाला में कई लोग बाढ़ के पानी में बह गए। उसके बाद 30 जून की रात मंडी जिले में बादल फटने की 12 घटनाओं ने कोहराम मचा दिया। सराज विधानसभा क्षेत्र में घर, दुकानें, सड़कें और पुल जमींदोज हो गए। अकेले सराज में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और कई लापता हुए। जुलाई महीने में कुल्लू और सिरमौर जिलों में भारी तबाही मची। अगस्त में फिर मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिलों में बारिश ने कहर बरपाया। सितम्बर में चम्बा, कांगड़ा, शिमला, कुल्लू, बिलासपुर और सोलन के साथ मैदानी जिलों में आपदाओं ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।

खासतौर पर चम्बा जिले के जनजातीय क्षेत्र भरमौर में भारी बारिश से सड़कें और पुल टूट गए। इससे हजारों मणिमहेश तीर्थयात्री फंस गए। प्रशासन ने युद्धस्तर पर रैस्क्यू अभियान चलाकर करीब 15,000 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल की स्थिति पर चिंता जताई और मंडी, कुल्लू और चम्बा का हवाई सर्वेक्षण किया। कांगड़ा के गग्गल में उन्होंने आपदा प्रभावितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानीं और केंद्र सरकार की ओर से हिमाचल के लिए 1,500 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की।

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