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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दुष्कर्म के आरोपी एसडीएम ऊना विश्व मोहन देव चौहान की जमानत याचिका पर सुनवाई 3 अक्टूबर तक के लिए टल गई है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की अनुपस्थिति के कारण यह मामला न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी के समक्ष सुनवाई के लिए लगाया गया था. इस मामले में आरोपी एसडीएम को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है.
हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में ही आरोपी को अंतरिम अग्रिम जमानत प्रदान करने से इनकार कर दिया था. अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर जांच रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने याचिका में दिए गए तथ्यों के आधार पर कहा था कि प्राथमिकी में लगाए आरोपों से पता चलता है कि एसडीएम ने 10 अगस्त को पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया था. दुष्कर्म का शिकार हुई पीड़िता रोई और याचिकाकर्ता अधिकारी ने उससे शादी का वादा किया. उसने पीड़िता को 20 अगस्त को रेस्ट हाउस में बुलाया, जहां उसने फिर से उसके साथ दुष्कर्म किया. उसने घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे वायरल करने की धमकी दी. पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
कोर्ट ने इन सभी आरोपों को देखते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया था, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि बलात्कार के मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत नहीं दी जानी चाहिए. इसलिए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रार्थी को गिरफ्तारी से पहले अंतरिम जमानत देने के लिए मामले में पर्याप्त सामग्री नहीं है.
उल्लेखनीय है कि एक युवती ने एसडीएम विश्व मोहन देव चौहान पर गंभीर आरोप लगाए हैं. युवती ने बताया था कि विश्व मोहन देव चौहान से उसकी बातचीत सोशल मीडिया के जरिये हुई थी. इस दौरान एसडीएम ने उसे अपने दफ्तर मिलने बुलाया था और बाद में कोर्ट चेंबर में उसके साथ जबरन संबंध बनाए. बाद में 10 अगस्त को सरकारी रेस्ट हाउस में भी उसे बुलाया और फिर दुष्कर्म किया. मामले में अब 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
वहीं, एचपी पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में भी सुनवाई अब 6 अक्टूबर को होगी. इस मामले में पेन ड्राइव गायब करने के आरोपी ASI पंकज शर्मा ने जमानत याचिका दाखिल की है. अदालत के समक्ष सीबीआई ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. अदालत ने जांच एजेंसी को अगली तारीख पर जवाब दायर करने के निर्देश दिए हैं. प्रार्थी पंकज ने इस मामले में राज्य सरकार को भी प्रतिवादी बनाया है. फिलहाल राज्य सरकार को अदालत ने नोटिस जारी नहीं किया है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह कर रहे हैं.