पति का साथ छुटा.. मां ने कपड़े सीलकर बच्चों को पढ़ाया, तीनों ने पहनी पुलिस की वर्दी

Khabron wala

कभी हार मत मानो, क्योंकि किसी मां के हौसले के आगे हालात भी झुक जाते हैं। यह पंक्तियां पालमपुर की एक संघर्षशील महिला की कहानी को पूरी तरह बयां करती हैं, जिन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी चुनौती को भी डटकर सामना किया और अपने तीनों बच्चों को उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां आज वे पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन चुके हैं।

लोगों के कपड़े सिलाई कर पढ़ाए बच्चे

यह प्रेरणादायक कहानी है हिमाचल के कांगड़ा जिला के पालमपुर के वालिया परिवार की, जहां एक महिला ने अपने पति की असमय मृत्यु के बाद बच्चों की परवरिश के लिए सिलाई मशीन का सहारा लिया और लोगों के कपड़े सिल कर न केवल घर का खर्च चलाया, बल्कि अपने बच्चों के सपनों को भी पर लगा दिए। पति के निधन के बाद जब घर की पूरी जिम्मेदारी अकेले कंधों पर आ गई, तो उन्होंने हार नहीं मानी। समाज और हालात ने भले ही रास्ता रोका हो, लेकिन मां के हौसले ने हर रुकावट को पार कर दिया।

वर्ष 2013 में इस परिवार पर दुखों का पहाड़ उस वक्त टूटा जब घर के मुखिया चल बसे। उस वक्त तीनों बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे। आर्थिक स्थिति डगमगाई, लेकिन मां ने दूसरों के कपड़े सिलना शुरू किया। दिन.रात मेहनत की, एक.एक पैसा जोड़कर बच्चों की पढ़ाई और परवरिश में कोई कमी नहीं आने दी। सिलाई मशीन चलाकर बच्चों को पढ़ाने वाली मां की मेहनत अब रंग लाई है। इस मां की दो बेटियों के बाद अब बेटा भी पुलिस कांस्टेबल बन गया है।

बता दें कि 2018 में उनकी बडी बेटी साक्षी वालिया ने पुलिस कांस्टेबल के पद पर चयन पाकर मां के सपनों को पहली बार हकीकत में बदला। बड़ी बहन को देख कर छोटी बेटी में भी पुलिस विभाग में जाने का जज्बा पैदा हुआ और उसने भी कड़ी मेहनत शुरू कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ कि 2021 में उनकी दूसरी बेटी दीपिका वालिया का भी पुलिस विभाग में चयन हो गया। अब इस मां के सपनों को उनके बेटे गौरव वालिया ने हकीकत में बदल दिया है। गौरव वालिया अभी दो दिन पहले पुलिस कांस्टेबल के फाइनल परिणाम में सफल हो गए हैं।

गौरव वालिया ने कहा कि हम तीनों की सफलता का असली श्रेय हमारी मां को जाता है। उन्होंने कभी हमें यह महसूस नहीं होने दिया कि हमारे सिर से पिता का साया उठ चुका है। हमें हर दिन प्रेरणा मिली, जब हमने मां को बिना थके मशीन पर सिलाई करते देखा। वही हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा बनीं। वहीं स्थानीय निवासी मदन लाल का कहना है कि इस परिवार ने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ हो और हौसला मजबूत, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। इस मां ने जो किया, वह आज के समय में मिसाल है।

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