विधवा मां पर टूटा कहर, टेंट हाउस चलाकर पाल रही थी 2 मासूम, 80 लाख का सामान हुआ खाक

Khabron wala

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के ज्वालामुखी में एक विधवा महिला के वर्षों की मेहनत और उसकी आमदनी का सहारा छिन गया। महिला पति की मौत के बाद टेंट हाउस संचालित कर अपने दो मासूम बच्चों की परवरिश कर रही थी, लेकिन बीती रात को अचानक उसके टेंट हाउस में लगी आग ने उसकी सारी मेहनत को आंखों के साथ जलाकर राख कर दिया।

आग ने छीन लिया विधवा मां का सहारा

यह घटना ज्वालामुखी उपमंडल के फकलोह क्षेत्र की है। यहां रविवार तड़के लगी भीषण आग ने एक विधवा मां के सपनों और वर्षों की मेहनत को राख में बदल दिया। वार्ड नंबर.1 ज्वालामुखी की समिता चौधरी जो अपने पति के निधन के बाद पिछले पांच साल से मिठ्ठू टेंट हाउस का संचालन कर रही थीं, अब पूरी तरह से बेसहारा हो गई हैं। आग में करीब 80 लाख रुपए का सामान जलकर राख हो गया, जिससे परिवार का मुख्य सहारा खत्म हो गया है।

आग की भेंट चढ़ा पूरा टेंट का सामान

समिता चौधरी ने बताया कि रविवार सुबह करीब 5 बजे किसी अजनबी का फोन आया कि उनके टेंट हाउस में आग लगी है। जब वे मौके पर पहुंचीं, तो चारों तरफ धुआं और लपटें थीं। सारा सामान जलकर राख में बदल चुका था। टेंट, कुर्सियां, टेबल, मैट, बर्तन, क्रोकरी और लगभग 200 बिस्तर भी आग की भेंट चढ़ गए।

आग लगाने की आशंका

समिता ने आशंका जताई कि यह किसी शरारती तत्वों की करतूत हो सकती है। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी जब उनका टेंट हाउस दरंग में था, तब किसी ने आग लगाने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय समय रहते आग पर काबू पा लिया गया था। ऐसे में समिता ने आशंका जताई है कि यह आग अपने आप नहीं लगी है, बल्कि किसी ने उसके टेंट हाउस को आग के हवाले किया है।

आग की सूचना मिलते ही ज्वालामुखी से फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन कम पानी के दबाव के कारण आग पर तुरंत काबू नहीं पाया जा सका। इसके बाद देहरा से दूसरी फायर टीम को बुलाना पड़ा, जिसने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया। घटना की जानकारी मिलते ही ज्वालामुखी के विधायक संजय रत्न भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने नुकसान का जायजा लिया और प्रशासन को पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता और राहत प्रदान करने के निर्देश दिए।

समिता चौधरी अपने दो छोटे बच्चों 13 वर्षीय गीतांश और 10 वर्षीय रूहानी के साथ इस टेंट हाउस के सहारे ही जीवन चला रही थीं। पति के निधन के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत से व्यवसाय संभालकर बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उठाई। मगर इस हादसे ने उनके सामने फिर से जीवन यापन की गहरी चुनौती खड़ी कर दी है।

घटना के बाद जब समिता ढहे हुए टेंट हाउस के सामने खड़ी थीं, तो उनके दोनों बच्चे मां का दर्द देख फफक पड़े। आस-पास के लोग भी इस दृश्य को देखकर भावुक हो उठे। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि समिता चौधरी को तुरंत आर्थिक सहायता और पुनर्वास दिया जाए, ताकि वे दोबारा अपने बच्चों का भविष्य संवार सकें।

प्रशासन से मदद की गुहार

फिलहाल आग लगने के कारणों की जांच जारी है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि ऐसे हादसों से छोटे कारोबारी और विशेषकर महिलाएं, जो परिवार का सहारा अकेले उठाती हैं, उन्हें कैसे सुरक्षा और सहायता दी जाए। विधवा मां समिता अब केवल एक आस लगाए बैठी हैं कि सरकार और समाज उनके साथ खड़ा हो, ताकि उनके बच्चों की शिक्षा और भविष्य फिर से पटरी पर लौट सके।

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