पहली बार में ही सफल हुई बच्चे की बड़ी सर्जरी, मां-बाप छोड़ चुके थे ठीक होने की उम्मीद

Khabron wala 

हिमाचल प्रदेश मे कागड़ा जिला के टांडा मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यहां की डॉक्टरों की टीम ने पहली बार स्प्रेंगेल कंधे की दुर्लभ बीमारी का ऑपरेशन करके बच्चे को नई जिंदगी दी है। यह सर्जरी बहुत मुश्किल मानी जाती है, लेकिन टांडा के डॉक्टरों ने इसे पूरी तरह सफल बनाकर एक नया रिकॉर्ड बना दिया।

स्प्रेंगेल बीमारी से जूझ रहा था बच्चा

प्राप्त जानकारी के अनुसार, 9 साल का एक बच्चा स्प्रेंगेल कंधे जैसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था। इस समस्या के कारण उसे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और हाथ ऊपर उठाना भी उसके लिए मुश्किल हो गया था। बच्चा कुछ दिनों से टांडा अस्पताल में भर्ती था, जहां डॉक्टर उसकी स्थिति को ध्यान से देख रहे थे।

स्प्रेंगेल कंधा एक बहुत दुर्लभ जन्मजात बीमारी है, जिसमें कंधे की हड्डी (स्कैपुला) अपनी सामान्य जगह से ऊपर उठ जाती है। इस कारण बच्चे की चाल-ढाल प्रभावित होती है और उसके हाथों की हरकत भी सीमित हो जाती है।

बच्चे की हुई सफल सर्जरी

अस्पताल की डॉक्टरों की टीम ने आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके इस मुश्किल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया और बच्चे के कंधे को उसकी सही स्थिति में वापस ला दिया। ऑपरेशन के बाद बच्चे के चेहरे पर आई मुस्कान ही डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी खुशी और इस उपलब्धि का असली पुरस्कार बनी।

टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मिलाप शर्मा के नेतृत्व और मार्गदर्शन में यह सर्जरी पूरी की गई। सर्जिकल टीम में PGIMER, चंडीगढ़ से MCH सुपरस्पेशलिस्ट डॉ. आयुष शर्मा, ऑर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. विपिन शर्मा, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. शैली राणा, तथा डॉ. भानु की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अस्पताल की बेहतर सुविधाओं का नतीजा

डॉ. आयुष शर्मा ने कहा कि यह सफलता पूरी टीम की मेहनत, आपसी तालमेल और अस्पताल की बेहतर सुविधाओं का नतीजा है। उन्होंने प्रो. विपिन शर्मा और प्राचार्य डॉ. मिलाप शर्मा का विशेष धन्यवाद किया और कहा कि उनके लगातार सहयोग और मार्गदर्शन के बिना यह सर्जरी संभव नहीं हो पाती।

इस मुश्किल सर्जरी की सफलता सिर्फ एक चिकित्सा उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह साबित करती है कि टांडा मेडिकल कॉलेज अब राज्य का एक मजबूत और भरोसेमंद सुपरस्पेशलिटी केंद्र बन चुका है। यहां की सुविधाएं इतनी उन्नत हो गई हैं कि अब वे उन जटिल मामलों को भी संभाल सकती हैं, जिनके लिए पहले मरीजों को दूसरे राज्यों में जाना पड़ता था।

अब नहीं करना पड़ेगा दूसरे राज्यों का सफर

⦁ समय और पैसे दोनों की बचत होगी

⦁ लंबी यात्राओं की परेशानी से राहत मिलेगी

⦁ घर के पास ही विश्वस्तरीय इलाज और सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

⦁ यह उपलब्धि मरीजों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।

टांडा मेडिकल कॉलेज में हुई यह ऐतिहासिक सर्जरी प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं का नया अध्याय लिखती है। यह उपलब्धि न सिर्फ डॉक्टरों की तकनीकी दक्षता की मिसाल है बल्कि हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ती संभावनाओं का सशक्त प्रतीक भी है।

Related Posts

Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!