Khabron wala
जांबाज ग्रामीणों की बहादुरी से बरोट में बड़ा हादसा टला। शांत बरोट (Barot) का माहौल उस वक्त अफरा-तफरी में बदल गया जब लक्कड़ बाज़ार (Lakkad Bazaar) के बीचों-बीच अचानक आग भड़क उठी। यह दुर्घटना खेम सिंह, पुत्र चकू, के रिहायशी ढांचे में हुई, जो लोहे की चादरों से बना चार कमरों का मकान था। आग इतनी भयानक थी कि देखते ही देखते यह पूरा आवास राख में बदल गया, जिससे मालिक को अनुमानित 12 लाख रुपए का भारी नुकसान हुआ।
एकजुटता का अद्भुत नज़ारा
आग की ख़बर फैलते ही, थुजी, धरागना और बरोट बाज़ार सहित आस-पास के गांवों से सैंकड़ों निवासियों ने तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़ लगा दी। किसी भी तरह की दमकल सुविधा की गैर-मौजूदगी में, ये नागरिक ही पहले बचावकर्मी बने। उन्होंने पास की नदी से पानी लाने के लिए एक मानव श्रृंखला बनाई और आग की लपटों को बुझाने के लिए अथक प्रयास किया।
एक घंटे से अधिक के संघर्ष और कुछ सटे हुए मकानों की चादरों को उखाड़कर आग के रास्ते को अवरुद्ध करने के बाद, बहादुर निवासियों ने आखिरकार आग पर काबू पा लिया।
अगर रात होती तो…
स्थानीय लोगों की यह त्वरित और निस्वार्थ कार्रवाई एक बड़ी आपदा को टालने का कारण बनी। अगर यह दुर्घटना रात के समय हुई होती, तो आग आसानी से पास की लगभग 70-80 लकड़ी की दुकानों और रिहायशी इमारतों को अपनी चपेट में ले सकती थी। इस स्थिति में, जान-माल का नुकसान करोड़ों में हो सकता था और कई लोगों की जान खतरे में पड़ सकती थी। स्थानीय लोगों की सतर्कता और साहस ने सचमुच एक संभावित सामूहिक त्रासदी को रोक दिया।
प्रशासन की ओर से मदद
घटना की सूचना मिलने पर, पटवारी हल्के के अधिकारी, रोहित कुमार, ने मौके पर पहुंचकर क्षति का विस्तृत मूल्यांकन किया। उन्होंने बताया कि खेम सिंह का वास्तविक नुकसान लगभग आठ लाख रुपए का है। राहत के तौर पर, पटवारी रोहित ने तत्काल सहायता के रूप में खेम सिंह को दस हजार रुपए नकद और एक सुरक्षात्मक तिरपाल भेंट की।
इस भयावह घटना के मद्देनज़र, स्थानीय समुदाय ने सरकार से इस संवेदनशील क्षेत्र में अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत करने की पुरज़ोर मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह के बड़े हादसों को रोका जा सके और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।












