अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर प्रशासनिक अधिकारियों से नोक-झोंक, दृष्टिबाधितों पर बरसा सरकारी रौब

Khabron wala 

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर दृष्टिबाधित संघ ने छोटा शिमला में सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ तीखी नोक-झोंक भी हुई। यहां तक कि डीएसपी और एसडीएम के साथ तू-तू, मैं-मैं भी हुई। इस दौरान दृष्टिबाधित सड़क पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें सड़क से हटाने के लिए हल्के बल का प्रयोग किया। इस दौरान धक्का-मुक्की हुई। धरने पर बैठे दृष्टिबाधितों ने मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी भी की। दृष्टिबाधित संघ बीते 771 दिनों से बैकलॉग की भर्तियों की मांग पर धरना दे रहा है और साथ में पैंशन बढ़ौतरी की भी मांग कर रहा है। अब दृष्टिबाधित संघ ने ऐलान किया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर सचिवालय के सामने आत्मदाह किया जाएगा और 10 दिसम्बर से आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा।

छोटा शिमला के पास राज्य सचिवालय के सामने दृष्टिबाधितों ने यातायात बाधित करने की कोशिश की तो पुलिस से इनकी झड़प हो गई। इस दौरान डीएसपी अमित ठाकुर ने भी अपना रौब दिखाया। डीएसपी अमित ठाकुर ने एक दृष्टिबाधित से कहा कि अगर उसने आवाज ऊंची की तो उनकी धड़कनें रुक जाएंगी, जिससे दृष्टिबाधित फिर से भड़क गए। दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। इस दौरान एसडीएम शिमला शहरी ओशीन शर्मा भी मौके पहुंची थीं। वह भी दृष्टिबाधितों के साथ गुस्से में बात करती नजर आईं। एसडीएम ओशीन शर्मा ने कहा कि दराट क्या होता है, मुझे पता है, मैं बुद्धू नहीं हूं। इस पर दृष्टिबाधितों ने कहा कि यदि एसडीएम ने दृष्टिबाधितों के पास दराट देखा तो वह बताएं, कहां देखा? इस दौरान वह दृष्टिबाधितों को कहती नजर आईं कि वे लोग उनकी बात सुनें। इस पर एक दृष्टिबाधित ने कहा कि देखो इनकी दादागिरी की हद है। हालांकि दृष्टिबाधितों के भड़कने के बाद एसडीएम ओशीन शर्मा मौके से चली गईं।

इस दौरान दृष्टिबाधितों ने पैंशन चोर गद्दी छोड़ जैसे नारे लगाए और सुक्खू सरकार की निंदा भी करते नजर आए। एसडीएम ओशीन शर्मा ने इन नारों पर कहा कि सीएम के खिलाफ ऐसे नारे नहीं सुनेंगे। इस पर दृष्टिबाधितों ने भी भड़कते हुए कहा कि क्यों नहीं सुनेंगे। इस दौरान फिर से दृष्टिबाधितों ने ऐसा ही नारा लगाया।

सरकार ने बात न मानी तो आत्मदाह से भी नहीं करेंगे गुरेज

दृष्टिबाधित संघ के सचिव राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है। हालांकि गुरुवार को इस मामले में अदालत में भी सुनवाई होनी है। राज्य सरकार ने यदि उनकी बात नहीं मानी तो वे मुख्यमंत्री के कार्यालय के बाहर ही आत्मदाह कर लेंगे। उन्होंने कहा कि बार-बार वार्ता के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल रहा है। उन्होंने कहा कि दृष्टिहीन संघ लगातार बैकलॉग कोटे से नौकरियां देने और उनकी पैंशन में बढ़ौतरी सहित कई मांगों को लेकर लगातार 771 दिनों से शिमला में प्रदर्शन कर रहा है। दृष्टिबाधित अब आगामी रणनीति बना रहे हैं और 10 दिसम्बर के बाद आंदोलन को तेज किया जाएगा। प्रदेश भर से वे और उनके परिजन शिमला पहुंचकर आंदोलन के जरिए सरकार को चेताएंगे। अब बुधवार से क्रमिक अनशन आरंभ कर दिया है और यदि सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं होती है तो यह आमरण अनशन में बदल जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोक निर्माण विभाग का एक कर्मचारी वहां आया था, जिसके पास दराट था, जिसे प्रशासनिक व पुलिस के अधिकारियों ने उनका व्यक्ति बताया। दृष्टिबाधित तो पहले ही नजर से मोहताज हैं तो ऐसे में दराट रखकर क्या कर लेंगे।

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