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हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में राजस्व विभाग के फील्ड अधिकारियों की लापरवाही सामने आने पर जमकर क्लास लगी है. जिला के डीसी अनुपम कश्यप ने लोगों की सुविधा को देखते हुए रविवार को छुट्टी के दिन अधिकारियों की बैठक ली. इस दौरान उन्होंने निशानदेही मामलों में हो रही देरी पर तीखी नाराजगी जताई. फाइलों के ढेर और लंबित पड़ते मामलों पर सख़्त रुख अपनाते हुए डीसी ने पटवारियों और कानूनगो को निशानदेही मामलों में 7 दिनों में सम्मन जारी करने का अल्टीमेटम दिया है. ऐसे में प्रशासनिक तंत्र को हिला देने वाली इस सख़्त चेतावनी ने विभागों में हलचल मचा दी है. वहीं, जनता उम्मीद जता रही है कि इससे जमीन संबंधी मामलों में होने वाली देरी पर अब लगाम लगेगी.
‘शिकायत मिली तो अधिकारियों की खैर नहीं’
डीसी अनुपम कश्यप ने बैठक के दौरान स्पष्ट किया है कि, “निशानदेही राजस्व से जुड़े कार्य को लेकर किसी भी व्यक्ति का काम लटकाया नहीं जाएगा. अगर कोई व्यक्ति ये शिकायत करता है कि फील्ड अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में फील्ड स्टाफ के खिलाफ उसी वक्त सख्त कार्रवाई की जाएगी. कानूनगो और पटवारियों की लेटलतीफी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार राजस्व विभाग के कार्यों को जल्दी से पता करने की दिशा में अनेकों कदम उठा चुकी है. जिनका पालन करना सभी अधिकारियों का कर्तव्य है. अगले 7 दिनों में निशानदेही के मामलों में सम्मन की प्रक्रिया पूरी की जाए.”
शिमला शहरी और ग्रामीण के बहुत से लोग रोजाना डीसी के पास राजस्व कार्यों के सम्बन्ध में पहुंच रहे हैं. डीसी ने दोनों ही एसडीएम को एक हफ्ते के अंदर सारी लंबित फाइलों को निपटाने के निर्देश दिए.
डीसी ने कहा कि, राजस्व विभाग की छवि जनता के बीच में काफी खराब है. लोगों के काम समय पर न होने और बेवजह देरी के कारण लोगों का आक्रोश विभाग के प्रति काफी बढ़ रहा है. इस छवि को सुधारने के लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा. फील्ड स्टाफ का आमजन के साथ व्यवहार सही नहीं है. वहीं, अभी तक उपायुक्त अनुपम कश्यप कुमारसैन, ठियोग, सुन्नी, शिमला शहरी और शिमला ग्रामीण में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और पटवारियों के साथ राजस्व कार्यों को लेकर बैठक कर चुके हैं.
इसी महीने जिला के सभी उपमंडलों में इस तरह की बैठक आयोजित होनी है. इसी तरह से डीसी ने सभी पटवारियों को अपने अपने पटवार सर्कलों में लंबरदारों के नियुक्ति पत्र चेक करने के भी निर्देश दिए हैं. इस दौरान अगर किसी के पास नियुक्ति पत्र नहीं पाया जाता है तो इसकी सूचना उपायुक्त कार्यालय को देनी होगी. उपायुक्त ने कहा कि, राजस्व विभाग की ओर से लोगों को मिली वित्तीय सहायता के लिए हर पटवारी को लाभार्थी तक जाना होगा. इसकी वेरिफिकेशन करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हर पटवारी को एक महीने में अपने-अपने लंबरदारों और थाना प्रभारी या एसएचओ के साथ नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान को लेकर बैठक करना अनिवार्य है. एक महीने के भीतर सभी पटवारी इन बैठकों का आयोजन करेंगे. चिट्टा मुक्त हिमाचल प्रदेश सरकार के अभियान को धरातल पर उतारने में पटवारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है.
डीसी अनुपम कश्यप ने फील्ड कानूनगो धामी से निशानदेही के लंबित केस में जनवरी 2025 के बाद कोई भी सम्मन जारी न करने के बारे में कारण पूछा तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. इस पर डीसी ने कहा कि, 11 महीने तक एक सम्मन न निकलना मतलब विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है. उन्होंने नायब तहसीलदार से भी इस देरी पर इतने महीनों में कानूनगो के खिलाफ कोई लिखित कार्रवाई क्यों नहीं किए जाने को लेकर जवाब मांगा.
वहीं, डीसी ने शिमला ग्रामीण और शिमला शहरी में निशानदेही के लंबित मामलों के निपटारे के लिए ऑफिस कानूनगो फील्ड में उतरने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि, जिला राजस्व अधिकारी सभी ऑफिस कानूनगो की ड्यूटी लगाएं. इसके बाद अगर कोई ऑफिस कानूनगो निशानदेही के लिए फील्ड में नहीं गया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. वहीं, बैठक में कानूनगो को जब अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के बारे में फैक्ट फिगर देने को कहा गया तो 90 फीसदी कानूनगो जवाब ही नहीं दे पाए. कानूनगो को अपने-अपने पटवार सर्कल के क्षेत्र के बारे में जानकारी ही नहीं थी. इसके अलावा सरकारी भूमि और सरकारी भवनों के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं थी.












